हजारीबाग। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य है भारत की पुरानी प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करना। भारत को फिर से सोने की चिड़िया बनाना। उक्त बातें विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर चंद्र भूषण शर्मा ने कही। वह सोमवार को स्वामी विवेकानंद सभागार में नई शिक्षा नीति पर व्याख्यान दे रहे थे। यूसेट के डॉ अरुण कुमार मिश्रा ने सभी का स्वागत तथा कार्यक्रम का संचालन किया।

कुलपति ने बताया कि वह खुद नई शिक्षा नीति से पिछले 10 वर्षों से जुड़े हुए हैं। पहले 5 वर्ष इसके निर्माण के कार्य से और बाद के 5 वर्ष इसे लागू करने के कार्य मे। उन्होंने बताया कि जब इस शिक्षा नीति पर कार्य प्रारंभ किया गया तो यह सवाल पूछा गया कि जब भारत एक समय विश्व का पथ प्रदर्शक था तो 1947 के बाद ऐसा क्या हुआ कि हम इतना पीछे रह गए। प्रो चंद्रभूषण शर्मा ने बताया की तब तय किया गया की एक नई शिक्षा नीति लाई जाएगी जिसके माध्यम से भारत फिर से विश्व का पथ प्रदर्शक बनेगा।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं विद्यार्थियों को इस अति महत्वपूर्ण नई शिक्षा नीति 2020 की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इसके लिए वह नियमित रूप से इस विषय के बड़े-बड़े विद्वानों से व्याख्यान आयोजित करवाएंगे। इस तरह के व्याख्यान हजारीबाग व्याख्यान माला के नाम से जाना जाएगा।
कुलपति ने बताया कि यह स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति है। दूसरी शिक्षा नीति 1986 में लाई गई थी। तीसरी के आने में 34 वर्षों का विलंब हुआ। उन्होंने बताया कि सभी विकसित देशों में आमतौर पर 20 वर्षों के बाद शिक्षा नीति लाई जाती है।
उन्होंने बताया कि यह शिक्षा नीति दरअसल शिक्षा पर भारत सरकार की दृष्टि है। यह भारत को महान राष्ट्र के रूप में पुनर्स्थापित करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की नीति है।
कुलपति ने भारत का अपेक्षा अनुरूप विकास नहीं होने के पीछे का मूल कारण को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की जो स्वतंत्र भारत की दृष्टि थी उसे 1947 के बाद की शिक्षा नीति में सम्मिलित नहीं किया। नई शिक्षा नीति 2020 में इन बिंदुओं को शामिल किया गया है।
इस संबंध में कुछ उदाहरण देते हुए प्रो चंद्र भूषण शर्मा ने बताया कि अब भारत में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है। लगभग 75 भारतीय भाषाओं में यह कार्य प्रारंभ हो चुका है। इससे क्षिजण में भी कमी दिख रही है।
एक और उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि इस शिक्षा नीति के माध्यम से सभी विद्यार्थियों को अवसर की समानता की गारंटी दी गई है। यह शिक्षा नीति एक साथ छात्र-केंद्रीक तथा शिक्षक-केंद्रीक है।
उच्च शिक्षा पर बात करते हुए उन्होंने बताया की एक विश्वविद्यालय के अंतर्गत कई महाविद्यालयों के संबद्धन की व्यवस्था को अब बदलने की बात कही गई है। सभी महाविद्यालय स्वायत्त इकाई होंगे।
उन्होंने बताया कि सरकारी विद्यालयों में जो शिक्षकों की कमी है उसका एक कारण है गलत पदस्थापन एवं स्थानांतरण नीति। शोध में पाया गया है कि कई महिला शिक्षिकाओं ने परिवार से दूर पदस्थापित किए जाने पर नौकरी छोड़ दी। नई शिक्षा नीति इस समस्या को भी सुधारा है।
प्रो चंद्र भूषण शर्मा ने विद्यालयों में 10 दिन बैग रहित शिक्षा, रुचि के अनुसार शिक्षा ग्रहण करना, उच्च शिक्षा में अपनी आवश्यकता के अनुसार विषयों का चयन करना जैसे कई क्रांतिकारी बिंदु की चर्चा की।
उन्होंने इशारा किया कि अब तक की स्वतंत्र भारत की शिक्षा नीति पर मैकॉले की शिक्षा नीति का प्रभाव प्रतिबिंबित होता रहा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। नई शिक्षा नीति 2020 द्वारा निर्मित युवा नौकरी की तलाश नहीं करेगा बल्कि खुद रोजगार सृजन करेगा।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पदाधिकारी, मुख्यालय में कार्यरत शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित थे।
ये भी पढ़िए……..