बलरामपुर, अनिल गुप्ता: रामानुजगंज के वनांचल ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग इन दिनों सुबह से ही अपने पूरे परिवार के साथ महुआ बीनने निकल जाते हैं. बच्चे बुढ़े महिलाएं युवा सभी मिलकर महुआ बीनते हैं. गांव में महुआ जीविकोपार्जन का प्रमुख जरिया है ग्रामीण क्षेत्रों में लोग महुआ को बेचकर अपनी घर की छोटी मोटी जरूरतों को पूरा करते हैं. इस तरह महुआ ने वनांचल क्षेत्रों में लोगों के चेहरों पर खुशी बिखेर दी है. हालांकि मार्च महीने में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण महुआ के पैदावार पर असर पड़ा है.
आमदनी का जरिया बना महुआ
जिले के वनांचल एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए महुआ इन दिनों आमदनी का जरिया बना हुआ है. महुआ को बेचकर अपनी जरूरत के सामान खरीदते हैं. सुबह महुआ बीनने के बाद अपने घरों में ले जाकर सुखाते हैं सुखने के बाद बेचकर अपनी जरूरतें पूरी करते हैं आमदनी का अतिरिक्त जरिया बन गया है.
पूरा परिवार मिलकर बीनते हैं महुआ
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी मिलकर महुआ बीनने का काम करते हैं. सुबह से ही टोकरी लेकर जंगल की तरफ महुआ बीनने निकल पड़ते हैं और दोपहर तक महुआ बीनते हैं. इन दिनों ज्यादा महुआ बीनने की होड़ ग्रामीणों के बीच लगी रहती है. यहां के जंगलों में महुआ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
मार्च -अप्रैल माह में गिरता है महुआ
जिले के वनांचल एवं ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ का पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं. मार्च अप्रैल के महीने में जमकर महुआ गिरता है महुआ बीनने में जुट जाते हैं. हालांकि मार्च महीने में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि होने की वजह से महुआ के पैदावार पर असर पड़ा है. यहां के श्रमिक बाहर काम करने जाते हैं वह भी महुआ के सीजन में वापस गांव लौट आते हैं और महुआ बीनते हैं.
जंगली जानवरों का भी भय सता रहा है ग्रामीणों को
हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ आमदनी का जरिया बना हुआ है परंतु इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कब जंगली हाथी अथवा चीता या अन्य कोई जानवर हमला कर दे इसका कोई सम्भावना नहीं है, हालांकि इस संबंध में वन विभाग ने कमर कस ली है. जन धन की हानि ना हो इसके लिए ग्रामीणों को भी वन विभाग की प्रचार प्रसार के अनुसार कार्य करना होगा. इस मामले में रामानुजगंज के फोन पर खतरा अधिकारी संतोष पांडे एवं बलरामपुर रामानुजगंज जिले के बीएफओ विवेकानंद झा ने जानकारी देते हुए बताया कि अपने स्तर से हर जगह ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार प्रसार करवाया है. जहां कहीं भी हाथी की या कोई जंगली जानवर की खबर हो, उस तरफ ना जाए रात के अंधेरे में तो कभी ना जाए. मगर इस बात को ग्रामीण को भी समझना होगा की उनकी जरा सी लापरवाही उनके और उनके परिवार की जान पर भी बन सकती है.
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