रामानुजगंज, अनिल गुप्ता: कनहर नदी, मां महामाया देवी के पीछे बैठा यह शख्स एक अच्छा कारीगर था। जो फाइबर के टूटे हुए सामान को जोड़ता था, पर अपनी फूटी किस्मत को नहीं जोड़ पा रहा है। इस कदर आज अपने हालात से मजबूर हो गया की भीख मांग कर गुजारा कर रहा है। हालात और किस्मत कब पलट जाती है। किसी को पता नहीं चलता। झारखंड प्रदेश के ग्राम चिनिया का रहने वाला यह व्यक्ति, हालात और किस्मत का मारा हुआ तो है ही मगर ऐसे हालातों में जब उसके दोनों पैर पूरी तरीके से बेकार हो चुके हैं। दिव्यांग अपने आप को घसीट-घसीट कर चलने को मजबूर है। ऐसे मजबूर इंसान को उसके पुत्रों ने तो छोड़ा ही। जीवन भर साथ निभाने का वादा करने वाली जीवनसंगिनी भी इस लाचार को छोड़कर बेसहारा छोड़ कर चली गई।
इस सक्स का नाम नाथूराम है जो झारखंड के ग्राम दुनिया में रहता था। किसी कारणवश इसके दोनों पैर जवाब दे गए और चलने फिरने में असमर्थ हो गया। इसके 2 पुत्र भी हैं जो अपने अपने परिवार का भरण पोषण तो हंसी खुशी कर रहे हैं मगर अपने लाचार और असहाय पिता को यूं ही मरने के लिए छोड़ दिया है। नाथूराम ने आगे सिसकते रोते हुए अपनी कहानी बयां की कि वह अपने बाल बच्चों को अपने परिवार को अपनी खुशी मारकर खुश रखा। उनकी हर ख्वाहिश को पूरा करता रहा। जमीन, जायदाद, मकान बनाए और उन्हीं लोगों को दे दिया। उस समय तक तो सब ठीक-ठाक चलता रहा पर अब हालात ऐसे बदले कि इन कलयुग के संतानों ने तो मुझे छोड़ा ही मेरी जीवनसंगिनी भी मुझे छोड़ कर चली गई।
आगे उन्होंने हमारे संवाददाता से कहा ऐसे में मैं क्या करूं, मुझे घर जाना है, मुझे पहुंचा दीजिए बाबू आपका बहुत भला होगा। उसकी यह मार्मिक अपील सुनकर हमारे प्रतिनिधि द्वारा उसे अच्छी तरीके से भरपेट खाना खिला कर उसके गृह ग्राम झारखंड प्रदेश के गढ़वा जिले के चिनिया बस में बैठा कर भेज दिया गया। यह एक कलयुग के संतानों का जीता जागता उदाहरण है कि हमारा समाज कहां जा रहा है। नाथूराम के 2 पुत्र थे उन्होंने तो अपने पिता को छोड़ा ही। जीवन भर साथ निभाने वाली जीवनसंगिनी इस तरह से वृद्धावस्था में अपने पति को छोड़कर चली जाए यह तो कलयुग के इस समाज को सोचना होगा की ऐसा भी होता है।
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