रांची, दयानंद रॉय : झारखंड में इतने वर्षों के बाद भी साहित्य अकादमी का नहीं होना शर्म की बात है। झारखंड प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकारों की भूमि हैं। रविवार को ये बातें हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि अरुण कमल ने कहीं। वे झारखंड साहित्य अकादमी स्थापना संघर्ष समिति की ओर से रांची प्रेस क्लब में आयोतित सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से आग्रह किया कि एक महीने के भीतर अकादमियों का गठन किया जाए। उन्होंने झारखंड में बोली जाने वाली सभी बोलियों एवं भाषाओं के संरक्षण कि लिए भी संस्थागत प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत में शायद ही कोई राज्य होगा जहां साहित्य के संवर्द्धन के लिए कोई सरकारी संस्था नहीं होगी। उन्होंने झारखंड साहित्य अकादमी स्थापना संघर्ष समिति के संघर्ष को अपना समर्थन दिया और कहा कि वे जीवन के पक्ष में, भाषा के पक्ष में साहित्य अकादमी के गठन की मांग करते हैं।
सरकार शीघ्र ही साहित्य अकादमी का गठन करेगी
समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अशोक प्रियदर्शी ने की। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति के प्रयास अवश्य फलीभूत होंगे और सरकार शीघ्र ही साहित्य अकादमी का गठन करेगी। कार्यक्रम के आरंभ में विषय प्रवेश कराते हुए समिति के महासचिव नीरज नीर ने बताया कि समिति विभिन्न तरीकों से सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहती है कि झारखंड में साहित्य अकादमी की स्थापना की जाए। चूंकि झारखंड में सरकार के स्तर पर यहां के साहित्यकारों को सम्मानित नहीं किया जा रहा है इसलिए समिति ने निर्णय लिया कि समिति अपने स्तर पर अपने सीमित संसाधनों से उन्हें सम्मानित करेंगी। इस मौके पर साहित्यकार शंभू बादल को बिरसा मुंडा शिखर सम्मान, प्रह्लाद चंद्र दास को भारत यायावर स्मृति सम्मान, पंकज मित्र को राधाकृष्ण स्मृति सम्मान, बासु बिहारी को श्रीनिवास पानुरी सम्मान, वंदना टेटे को सुशीला समद सम्मान, विनोद राज विद्रोही को रघुनाथ स्मृति सम्मान, नरेश अग्रवाल को विनोद बिहारी महतो स्मृति सम्मान, मयंक मुरारी को डॉ रामदयाल मुंडा स्मृति सम्मान, रतन महतो को संत कवि सृष्टिधर स्मृति सम्मान तथा अमरेन्द्र सुमन को कॉमरेड महेंद्र प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान दिया गया।
लक्ष्य की प्राप्ति तक संघर्ष जारी रखना चाहिए
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में समारोह में विशिष्ट अतिथि और वरिष्ठ साहित्यकार विदयाभूषण ने कहा कि अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष के अलावा विकल्प नहीं है और लक्ष्य की प्राप्ति तक संघर्ष जारी रखना चाहिए।। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सुरेश प्रसाद सिंह एवं दूरदर्शन के पूर्व निदेशक प्रमोद कुमार झा ने भी झारखंड में साहित्य अकादमी की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि यह सरकार का दायित्व है कि वह साहित्य अकादमी की स्थापना करे। साहित्य अकादमी बनने से झारखंड में साहित्य को प्रोत्साहन मिलेगा। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए समिति के अध्यक्ष शिरोमणि महतो ने कहा कि विगत दो वर्षों से समिति लगातार विभिन्न फोरम पर अपनी बात उठा रही है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से अगर सरकार की संवेदना जगाने में हम सफल हो सकें तो हमारा संघर्ष फलीभूत होगा। इस अवसर पर नीलोत्पल रमेश, प्रवीण परिमल, रश्मि शर्मा, सरोज झा झारखंडी, डॉ रजनी गुप्ता, नेतलाल यादव, सुशील स्वतंत्र, प्रणव प्रियदर्शी, चंद्रिका ठाकुर देशदीप, अनीता रश्मि, डॉ कृष्ण गोप, अनिल किशोर सहाय, प्रकाश देवकूलिश, डॉ सुजाता कुमारी, गुलांचो कुमारी, संध्या उर्वशी, डॉ प्रशांत गौरव, संगीत कुजारा टाक, सुनीता अग्रवाल, डॉ सुषमा केरकेट्टा, सरिता बड़ाइक, पंकज पुष्कर समेत कई साहित्यकार उपस्थित रहे।
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