बलरामपुर। एक जुलाई से देश में तीन नए कानून लागू हो रहे हैं। इसी संबंध में रामानुजगंज स्थित पंडित दीनदयाल मांगलिक भवन परिसर में नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु इनके लागू किए जाने के पूर्व पुलिस विभाग के द्वारा जनप्रतिनिधिगण व अधिकारी/कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया। ब्रिटिश काल में बनाए गए भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह इन तीनों नए प्रावधानों को लाया गया है।
कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी रिमिजियुस एक्का ने नवीन आपराधिक कानूनों के सबंध में प्रकाश डालते हुए बताया कि इनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जिले के सभी अनुविभागों के थाना क्षेत्र में उस क्षेत्र के अनुविभागीय दंडाधिकारी, तहसील स्तर पर प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही कानून के संबंध में तिथिवार चिन्हित स्थान के साथ-साथ, शिक्षण संस्थानों, हाट-बाजारों या अन्य महत्वपूर्ण स्थान जहां पर लोगों को अधिक से अधिक नवीन कानून की जानकारी दिया जा सकता है, ऐसे स्थानों में कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता/प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी
आयोजित प्रशिक्षण में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेद सिंह ने दण्ड प्रक्रिया संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 को लागू किया गया है। जिसे 20 दिसंबर 2023 को लोकसभा द्वारा एवं 21 दिसंबर 2023 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया एवं 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त हुई जिसके पश्चात् भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया।
सीआरपीसी में पहले 484 धाराएं थी इसकी जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में 531 धाराएं होंगी, इसमें 177 धाराओं में बदलाव किया गया है, 09 नई धाराएं जोड़ी गई है 39 नए सबसेक्शन जोड़े गये है, 44 नए प्रोवीजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए है वहीं 35 सेक्शन में टाइमलाइन जोड़ी गई है और 14 धाराओं को निरस्त कर हटाया गया है।
उन्होंने बताया कि 1 जुलाई से कानून लागू होने के बाद कोई भी अपराध होने पर नए कानून के अंतर्गत घटना या अपराध पंजीबद्ध होगा। इसके अंतर्गत अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि निर्धारित समय में उनका निराकरण हो सके। इसी तरह पुलिस एवं न्यायालय के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फॉरेंसिंक रिपोर्ट समय पर देना होगा। इसमें पीड़ित पक्ष, आरोपी पक्ष सभी को फायदा होगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंकज अलोक तिर्की, प्रथम अपर सत्र न्यायधीश डॉ मनोज कुमार प्रजापति, द्वितीय अपर सत्र न्यायधीश श्रीकांत श्रीवास, न्यायिक मजिस्ट्रेट शास्वत दुबे, सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण लोकेश कुमार, जिला अधिवक्ता अध्यक्ष अनुप तिवारी ने नवीन आपराधिक कानूनों के सबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी अन्य संबंधित विभागों के विभागीय अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि व महाविद्यालयीन छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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