हजारीबाग : हजारीबाग समेत पूरे झारखंड के जाने-माने शल्य चिकित्सक डॉ. हीरालाल साहा का निधन शुक्रवार को करीब 85 वर्ष की उम्र में हो गया. वे रामगढ़ के गोला प्रखंड स्थित चक्रवाली गांव के मूल निवासी थे. उनका भाई जवाहर प्रसाद अधिवक्ता हैं. उनके निधन पर हजारीबाग समेत पूरे राज्य भर के चिकित्सक, राजनेता ने शोक व्यक्त किया है. सदर विधायक मनीष जायसवाल ने इमली कोठी रोड स्थित उनके आवास पर पहुंचकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया.
डॉ. हीरालाल साह संघर्षों की उपज रहे थे. वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के साथ शल्य चिकित्सा जगत में जाने-माने नाम थे. उन्होंने चिकित्सीय सेवा के साथ सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक और भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए हमेशा अपना बहुमूल्य योगदान समाज को दिया. अच्छे साहित्यकार होने के साथ-साथ अपनी उत्कृष्ट लेखनी से समाज को जागृत करने का हमेशा प्रयास किया.
हीरालाल साहा एमएस, दरभंगा मेडिकल कॉलेज और एमफआरसीएस, एडिनबर्ग लंदन से किया था. उन्होंने इंग्लैंड में भी कई वर्षों तक चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी सेवा मरीजों को दिया. चिकित्सा के क्षेत्र के बाद उन्हें राजनीति में भी दिलचस्पी थी. वह भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने की इच्छा भी जाहिर कर चुके थे. लेकिन राजनीतिक समीकरण नहीं बनने के कारण उन्हें टिकट नहीं मिल सका. उन्होंने वर्ष 2016 पत्रकार मनोज मिश्र के साथ मिलकर दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी पर ‘शिबू सोरेन : झारखंड आंदोलन का एक सिपाही’ नामक पुस्तक लिखी थी. शिबू सोरेन ने ही उस पुस्तक का विमोचन किया था.
चिकित्सा के क्षेत्र में हजारीबाग के सबसे प्रसिद्ध व्यक्तित्वों में से एक 1.5 लाख सर्जरी करने वाले वे सर्जन रहे. यह भी दावा किया जाता है कि हजारीबाग में सबसे पहला निजी नर्सिंग होम खोलने का कांसेप्ट भी उन्होंने ही लाया. उन्होंने हजारीबाग के इमली कोठी रोड में अपने बेटे के नाम कुणाल नर्सिंग होम खोला था. यह भी एक संयोग की बात है कि महज एक महीने पहले उनके छोटे बेटे कुणाल की मृत्यु बीमारी के कारण हो गई थी.
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