ढाका, (हि.स.)। बांग्लादेश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष खालिदा जिया की हालत नाजुक है। 78 वर्षीय खालिदा जिया का पिछले 50 दिन से राजधानी ढाका के एवरकेयर अस्पताल में इलाज चल रहा है। उनके स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है। इलाज के लिए परिवार उन्हें विदेश ले जाने की तैयारी में हैं। परिवार ने इसके लिए सरकार से अनुमति मांगी है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में यह जानकारी दी गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार से अनुमति मिलते ही खालिदा जिया को विदेश ले जाया जाएगा। वह लीवर सिरोसिस बीमारी से जूझ रही हैं। परिवार की इच्छा उन्हें जर्मनी ले जाने की है। इसके अतिरिक्त संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर के अस्पतालों से भी संपर्क किया गया है। खालिदा जिया के छोटे भाई मेजर (सेवानिवृत्त) सईद इस्कंदर के हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया है कि 25 सितंबर को इसके लिए औपचारिक रूप से गृह मंत्रालय में आवेदन किया गया है। परिवार का कहना है कि उन्हें कोरोनरी केयर यूनिट में भर्ती कराने की जरूरत है। सईद इस्कंदर ने कहा है कि हमें मंत्रालय से त्वरित प्रतिक्रिया की उम्मीद है। खालिदा जिया को अत्याधुनिक उपचार की तत्काल जरूरत है। यह इलाज केवल विदेशों में उपलब्ध है।
मीडिया रिपोर्ट्स में खालिदा जिया के निजी चिकित्सक डॉ. एजेडएम जाहिद हुसैन के हवाले से कहा गया है कि वह गंभीर रूप से बीमार हैं और उन्हें लीवर प्रत्यारोपण सहित तत्काल उन्नत उपचार की आवश्यकता है। यह बांग्लादेश में संभव नहीं है। लिवर सिरोसिस के कारण उनके हृदय और गुर्दे में गंभीर दिक्कत पैदा हो गई है। वह सांस नहीं ले पा रहीं। पेट संबंधी समस्या बढ़ गई है। खालिदा जिया का जीवन अधर में है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने सरकार से मांग की है कि खालिदा जिया को तत्काल विदेश ले जाने की अनुमति प्रदान की जाए। मिर्जा फखरुल ने हाल ही में ढाका में जर्मन दूतावास के प्रभारी जान रॉल्फ जानोस्की से मुलाकात की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कानून मंत्री अनीसुल हक ने पुष्टि की कि गृह मंत्रालय को खालिदा जिया के विदेश में चिकित्सा उपचार के लिए आवेदन प्राप्त हुआ है। आवेदन पर गृह मंत्रालय जल्द ही निर्णय लेगा।
उल्लेखनीय है कि जिया अनाथालय ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में फरवरी 2018 में कारावास की सजा के बाद खालिदा जिया का स्वास्थ्य बिगड़ा। उन्होंने लगभग दो साल सलाखों के पीछे बिताए। 25 मार्च, 2020 को कोविड-19 महामारी के बीच उन्हें सशर्त रिहा किया गया। तब से, उनकी सेहत को देखते हुए हर छह माह में उनकी रिहाई की अविध बढ़ाई गई।
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