हजारीबाग : जमात-ए-इस्लामी हिन्द के 75 साल पूरे होने पर दिल्ली से आए डॉ हसन रजा ने कहा कि नफरत के भाव खत्म कर मुहब्बत की गंगा बहाएं. हिन्दुस्तान में विकास और गरीबों के उत्थान की राजनीति होनी चाहिए. भारत आध्यात्मिक मुल्क है, कौमी कश्मकश खत्म होनी चाहिए. अलमनार लाइब्रेरी लोहसिंगना हजारीबाग में रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में मूल्य आधारित राजनीति और तर्क आधारित मजहब होना चाहिए.
अनेकता में एकता के पक्षधर का भाव लोगों में उत्पन्न करना ही जमात-ए-इस्लामी हिन्द का मूल मकसद है. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष 1941 में इस संगठन की स्थापना देश की आजादी के साथ-साथ देशवासियों के बीच सौहार्द और भाइचारगी बरकरार रखने के लिए ही हुई थी. इस्माली एकेडेमी नई दिल्ली के चेयरमैन और जमात-ए-इस्लामी एडवाजरी कमेटी के सदस्य डॉ रजा हसन ने कहा कि कोई भी धर्म जब अंधविश्वास बन जाता है, तो वह कट्टरता की श्रेणी में आ जाता है. इस अंधविश्वास को शिक्षा से ही खत्म किया जा सकता है. जमात-ए-इस्लामी धर्म, जाति और संप्रदाय आधारित राजनीति की खिलाफत करता है. उन्होंने संगठन के लोगों को वक्त की पाबंदी का भी पाठ पढ़ाया. वहीं कहा कि बाबरी मस्जिद कोर्ट का इश्यू है, न कि पॉलिटिक्स का. आज माहौल बदला हुआ है, नफरत और धुव्रीकरण खत्म कर नए वातावरण पैदा करने की जरूरत है.
इससे पहले पत्रकार सह शिक्षाविद् डॉ जफरुल्लाह सादिक ने संगठन के इतिहास और मकसद से लोगों को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि आज भारत में खुशहाली, अमनोचैन और भाइचारगी को बढ़ाने की जरूरत है. शिक्षा में नैतिकता का पाठ पढ़ाने की आवश्यकता है. देश को एक सूत्र में पिरोकर रखना समाज के हर एक नागरिक की जिम्मेवारी है.
कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता डॉ असरार अहमद फारूकी ने की. मंच संचालन शफाअत हुसैन और धन्यवाद ज्ञापन कॉन्फ्रेंस के संयोजक शाहिद जमाल ने किया. कॉन्फ्रेंस में मुख्य रूप से प्रो. रिजवान अहमद, मौलाना नसीरूद्दीन, मतीन अंजुम, खैरूल अहमद, शनाहत हुसैन, एजाज अहमद, अनवर फिदवी, इरफान, मुस्तफा आदि मौजूद थे.
इसे भी पढ़िए….