रामानुजगंज, अनिल गुप्ता: जिले के 102 नंबर एम्बुलेंस सेवा के अधिकारी अपनी सेवा से भाग रहे है. बलरामपुर जिले में महतारी एक्सप्रेस क्रमांक सीजी 02 5676 के वाहन को देखकर लगता है कि जो मरीज अपनी जान बचाने के लिए स्वास्थ्य केंद्र तक जा रहा है. उन्हें अपनी जान की फिक्र खुद करनी होगी. एम्बुलेंस की हालत जर्जर हो गई है. गाड़ी के आगे न तो बम्पर है और न ही नंबर प्लेट. जब हमारे प्रतिनिधि ने गाड़ी का निरीक्षण किया तो पता चला की गाड़ी की स्थिति जर्जर हुई है. जहां एक तरफ छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएसए सिंह देव पूरे छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य केंद्रों की तस्वीर बदलने में लगे हुए हैं, वही बलरामपुर रामानुजगंज के विधायक बृहस्पति सिंह क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा एंबुलेंस लाकर क्षेत्रवासियों को सौगात दे रहे हैं. जिससे दूर-दराज के बीमार लोगों को जल्द से जल्द स्वास्थ्य सुविधा दिया जा सकें. किसी की जान एंबुलेंस के अभाव में न जाए.
गाड़ी की जर्जर स्थिति के बारे में साहब लोगों को दस बार बताया हूं : चालक
इस संबंध में जब चालक प्रवीण से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, हम क्या कर सकते हैं. साहब लोगों को एक बार नहीं 10 बार बताया हूं गाड़ी की बॉडी पूरी जर्जर अवस्था में है. चालक सीट के बगल में इतना बड़ा छेद है कि गलती से किसी का पैर चला जाए तो वह चलती गाड़ी से नीचे गिर जाएगा. इसमें हो सकता है उसकी जान भी चली जाए, हम लोगों ने जिले के अधिकारी दीपक साहब से भी बात की उन्होंने कहा कि रायपुर के अधिकारियों से चर्चा हो रही है. सोचने वाली बात यह भी है कि ना तो सामने का बंपर है और न ही नंबर प्लेट और सड़कों पर ऐसी वाहन धड़ल्ले से दौड़ रही है और इसको कोई देखने वाला भी नहीं. इस मामले को न तो पुलिस विभाग देख रहा है और न ही यातायात विभाग, अगर ऐसी वाहन किसी प्राइवेट व्यक्ति की होती तो न तो उसे पुलिस छोड़ती और न ही यातायात और आरटीओ विभाग छोड़ता.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले में जब जिले के अधिकारी दीपक निखेत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, आपकी बात तो सही, गाडी की स्थिति जर्जर हो गई है. सामने का जो बंपर है वह मिल नहीं रहा है, जो फाइबर का है. उसको पूरा चेंज करना है. जब उनसे कहा गया कि गाड़ी की पूरी बॉडी जर्जर अवस्था में है, तो उन्होंने कहा की गाड़ी फिटनेस के लिए गई है, लेकिन हम क्या कर सकते हैं. हमारे यहां 5 साल से ज्यादा वाहन नहीं चलाई जाती. इसे तो 2019-2020 में चेंज करना था, परंतु हो नहीं पाया. उसके बाद उन्होंने यह कहते हुए फोन काट दिया कि कॉल सेंटर से फोन आ रहा है. इमरजेंसी है. इसके बाद उन्होंने दोबारा फोन करने की जहमत नहीं उठाई.
गाड़ी एक नियम अनेक
अगर यहीं गाड़ी किसी आम आदमी की होती तो इस गाड़ी का इतना चालान कटता की चालान को भरते-भरते गाड़ी भी बिक जाता. लेकिन अधिकारी ऐसी गाड़ी को धड़ल्ले से चलवा रहे है. महतारी एक्सप्रेस लोगों की जान बचाती है. अब एक सवाल उठता है कि, क्या ऐसी वाहनों में मरीजों की जान सच में सुरक्षित है. क्या ऐसी वाहन दूसरों की जान सच में बचा सकती है.
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