रामानुजगंज, अनिल गुप्ता: कुपोषण का शिकार हो रही है गौमाता है. यह मामला ऑफबीट के प्रतिनिधि ने पिछले दिनों प्रमुखता से उठाया था. जिसमें इस बात को लेकर एक ही दल के दो वरिष्ठ नेताओं का एक दूसरे के विपरीत बयान आया. जिसे देखकर आम लोगों में काफी चर्चा हुई. इसी मामले में अंततः आदर्श गौ सेवा एवं कल्याण संस्थान ने भी अपनी बात प्रतिनिधि को बताई. इस संबंध में आदर्श गौ सेवा एवं कल्याण संस्थान के अध्यक्ष बद्री यादव एवं कोषाध्यक्ष आनंद चौबे ने संयुक्त रूप से यह बताया कि आपके समाचार से कम से कम अधिकारी और आयोग के लोग जाग तो रहे हैं. उनके द्वारा लगातार हमारे गौशाला को देखा जा रहा है और आपने जो समाचार प्रकाशित किया है उससे हम लोग हंड्रेड परसेंट सहमत है कि खानपान के अभाव से गौमाता कुपोषण का शिकार हो रही है, पर हमारी भी मजबूरी है की इस गौशाला में 200 मवेशियों का ही रहने की उचित व्यवस्था की गई है, परंतु वर्तमान परिस्थिति में दोगुने से भी ज्यादा गाय यहां रह रही है. पैसों के अभाव में ना तो हम उनका चारा और पोषण आहार सही ढंग से दे पा रहे हैं और ना ही रहने को उचित व्यवस्था हो पा रही है.
हम लोगों ने कई बार इस बारे में प्रशासनिक अधिकारी को आवेदन देकर एक और गौशाला की मांग की थी. मगर वह आज तक पूर्ण नहीं हुए. उन्होंने बताया कि एक आदिवासी महिला खोज मनी पूर्व में रामानुजगंज के अनुविभागीय अधिकारी के यहां यह आवेदन दिया था कि बलरामपुर रामानुजगंज में एकमात्र गौशाला आदर्श गौ सेवा कल्याण संस्थान ग्राम देवगाई में है. जो मात्र 1 एकड़ में है जहां पर 400 से अधिक गौ माता अवस्थित होकर आ रही है. जिसके कारण उनके रखरखाव मैं भारी समस्या उत्पन्न हो रही है. जिले में जितने भी गोवंश पुलिस थाना द्वारा जप्त किया जाता है. उन्हें इसी गौशाला में रखा जाता है. उन्होंने अधिकारियों लिखा था. ग्राम देवगाई स्थित भूमि खसरा नंबर 469 रकबा 1 पॉइंट 80 हेक्टेयर शासकीय भूमि है. जो वन क्षेत्र से लगा हुआ है. उसी भूमि से 0.20 फैक्टर फॉर मी आवंटित हो जाने पर क्षेत्र से लगे होने का कारण गौ माताओं को रखरखाव एवं चराने में सहूलियत होगी, मगर इस संबंध में किसी ने भी कोई गंभीर पहल नहीं की. गौशाला के प्रबंधकों ने गौ सेवा आयोग को एक आवेदन देकर दिनांक 27.4 2022 को अपनी व्यथा सुनाते हुए या लिखा था कि इस गौशाला में वर्तमान में 412 गोवंश है. जो बिना दूध देने वाले एवं बुजुर्ग भी रखे जाते हैं. क्षमता से अधिक गोवंश होने के कारण उनकी देखभाल के लिए भारी समस्या उत्पन्न होने की संभावना है. आगे उन्होंने बताया कि गौशाला के प्रबंधक कौन है. यह भी बताया की गौमाता को इस हाल में देखकर बहुत पीड़ा होती है. आंखों से आंसू बहते हैं. पर हम लोग लाचार हैं क्या कर सकते हैं.
गौ सेवक हो तो ऐसा
सही मायने में कोषा अध्यक्ष आनंद चौबे और अध्यक्ष बद्री यादव सहित सचिन देव कुमार सिंह इस मामले में बधाई के पात्र हैं क्योंकि 200 गाय रखने की व्यवस्था है. चारा पानी उतने ही है. जगह भी कम है. ऐसे में शासन द्वारा दोगुनी से ज्यादा गोवंश को वहां रखा गया है. मगर इस ओर भी ध्यान नहीं दिया गया की अगर गोवंश ज्यादा है तो चारा भी दुगना से ज्यादा लगेगा.
अपने घर में ही बना दिया गौशाला
आनंद चौबे जो नगर में गौ सेवा के लिए जाने जाते हैं कहीं भी कोई भी गौ माता बीमार अवस्था में या फिर किसी कष्ट में होती है. तो नगर सहित आसपास के लोग इन्हीं से संपर्क करते हैं. ऐसे में इनके लिए ही भारी समस्या पैदा हो गई है. इन्होंने अपने घर के ही लगभग 6 कमरों को गौशाला बना डाला. अगर यही कमरा यह किराए पर देते तो गिरी हालत में भी 12 से 15000 रूपए महीना किराए के रूप में प्राप्त कर लेते, परंतु गौ सेवक होने के नाते इन्होंने अपना फर्ज बहुत अच्छी तरीके से निभाया. गौशाला तो गौशाला अपने घर की जरूरत छोड़कर गौ माता के लिए घर के ही कमरे खोल दिए. उन घरों में गौमाता है. बड़े आराम से गर्मी के दिनों में पंखे के साथ रह रही हैं. चारा पानी भी अपने खर्चे पर वहन कर रहे है. अगर गौ सेवा की मिसाल देनी चाहिए तो शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधि को इन्हीं देना चाहिए.
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