रामानुजगंज, अनिल गुप्ता : कल ही ऑफबीट ने इस खबर को प्रमुखता से चलाया था कि कन्हर नदी का जलस्तर कम होते ही जहरीली केमिकल के द्वारा लोग मछली मार रहे है. वहीं आज फिर नदी में लोग जहरीला केमिकल मिलाकर मछली पकड़ रहे हैं. जिससे हजारों की संख्या में मछली तो मर ही रही है परंतु जो पानी बचा हुआ है वह भी दूषित हो रहा है. ऐसे में अगर उस पानी को कोई प्यासी पक्षी या पशु इस पानी को पीता है तो पीने के बाद जिंदा बचेगा कि नहीं उसकी कोई गारंटी नहीं है, ऊपर से नगर के ऐसे कई लोग नदी में मछली मारने वालों को देखने आ रहे हैं. जैसे यह अनोखा दृश्य या मंजर है. कुछ लोग तो ऐसे मिले जो मछली खरीदने आ रहे हैं. उनको यह पता नहीं कि ये जहरीली मछली उनके स्वास्थ के लिए कितना हानिकारक है.
सबसे बड़ी बात यह थी की समाचार प्रकाशन के बाद किसी ने भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. अगर कोई घटना होती है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, ऊपर से जल संसाधन विभाग के अधिकारी जैसे कान में में रुई डालकर सो रहे हैं. इधर मछलियां मारी तो जा रहे हैं और ऐसा जहरीला पानी पीकर अगर कोई पशु पक्षी या जानवर मर गया तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा. सबसे बड़ी सोचने की बात यह है कि छत्तीसगढ़ सीमा से लगे ग्राम गोदरमाना के ज्यादातर लोग कन्हर नदी पर पीने का पानी के लिए निर्भर है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ हो या झारखंड ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर लोग नदी का पानी शुद्ध मान कर पी लेते हैं. ऐसे में कोई घटना होती है तो हर कोई अपने हाथ खड़े कर देगा. इस मामले में पुलिस प्रशासन को कुछ न कुछ एक्शन लेना ही होगा नहीं तो कभी भी कोई घटना हो सकती है.
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