रांची। पश्चिमी सिंहभूम जिले के सदर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाए जाने का मामला अब भयावह रूप ले चुका है। शनिवार को जांच में चार और बच्चों के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने की पुष्टि हुई, जिससे संक्रमित बच्चों की कुल संख्या बढ़कर पांच हो गई है। इस चौंकाने वाले खुलासे से पूरे स्वास्थ्य तंत्र में हड़कंप मच गया है।
रांची से विशेष जांच टीम शनिवार को चाईबासा पहुंची और मामले की गहन जांच शुरू की। टीम के अधिकारियों के अनुसार, बीते एक सप्ताह में सदर अस्पताल के एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) केंद्र में पांच बच्चे एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं। सभी बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित हैं और हाल ही में इसी अस्पताल के ब्लड बैंक से उन्हें रक्त चढ़ाया गया था।

अस्पताल में इस खुलासे के बाद मरीजों और परिजनों में भय और आक्रोश का माहौल है। कई लोग अब सदर अस्पताल में रक्त चढ़ाने से कतरा रहे हैं। मरीजों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है कि जब सरकारी अस्पतालों में ही खून असुरक्षित है, तो आम जनता किस पर भरोसा करे।
यह मामला तब उजागर हुआ जब एक सात वर्षीय थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे के पिता ने पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त को शिकायत दी कि उनके बच्चे को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाया गया है। पिता के अनुसार, 13 सितंबर को अस्पताल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन हुआ था और 18 अक्टूबर को आई रिपोर्ट में बच्चा एचआईवी पॉजिटिव पाया गया। रिपोर्ट आने के बाद उन्होंने और उनकी पत्नी ने भी अपनी जांच कराई, जिसमें दोनों एचआईवी निगेटिव निकले। इससे स्पष्ट हो गया कि संक्रमण अस्पताल के ब्लड बैंक से चढ़ाए गए रक्त से ही हुआ।
शिकायत मिलते ही उपायुक्त ने त्वरित जांच के आदेश दिए। इसके बाद झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग को विस्तृत जांच का निर्देश दिया। रांची से आई जांच टीम यह पता लगाने में जुटी है कि संक्रमित रक्त ब्लड बैंक तक कैसे पहुंचा और स्क्रीनिंग प्रक्रिया में ऐसी गंभीर चूक क्यों हुई।
स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल प्रशासन से पूरे ब्लड बैंक का रिकॉर्ड मांगा है और संबंधित कर्मियों से पूछताछ शुरू कर दी है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा है कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी और ब्लड बैंक की कार्यप्रणाली की पूरी समीक्षा की जाएगी।
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में रक्त सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली पर जनता के भरोसे को भी गहरा झटका पहुंचाने वाला है।आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, पश्चिम सिंहभूम जिले में 515 एचआईवी पॉजिटिव मामले और 56 थैलेसीमिया मरीज हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों को संबंधित ब्लड ट्रांसफ्यूजन से जुड़े सभी डोनर्स का पता लगाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि संक्रमण को और फैलने से रोका जा सके।
एचआईवी आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के बॉडी फ्लूइड यानी ब्लड, ब्रेस्ट मिल्क और स्पर्म के संपर्क से फैलता है। ये संक्रमित प्रेग्नेंट महिलाओं के जरिए बच्चे में फैल सकता है। इसके फैलने के कई अन्य कारण भी हैं। डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन को एक सप्ताह के भीतर सभी खामियां दूर करने का निर्देश दिया गया है। तब तक ब्लड बैंक केवल आपात स्थिति में ही कार्य करेगा।
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