बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का आतंक बढ़ा हुआ है। जिसको देखते हुए 28 सितंबर को ऑफबीट न्यूज और हिंदी दैनिक वर्ल्ड विजन न्यूज में प्रकाशित खबर ‘नहीं आ रहे बाज : झोलाछाप डॉक्टरों के अलग-अलग अंदाज’ पर जिले के कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने संज्ञान लिया है। बीते मंगलवार को टीएल मीटिंग में कलेक्टर ने इनलोगों पर कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए है।
मिली जानकारी अनुसार, बीते मंगलवार को जिले के कलेक्टर राजेंद्र कटारा की उपस्थिति में जिला स्तरीय नार्को समन्वय समिति (एनसीओआरडी) की बैठक आयोजित हुई। बैठक में जिले में नशीली दवाओं और मादक पदार्थों के अवैध व्यापार को रोकने के लिए प्रभावी रणनीति तैयार की गई। कलेक्टर ने पुलिस, औषधि, आबकारी और समाज कल्याण विभाग को आपसी समन्वय से कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिए।

बैठक में कलेक्टर कटारा ने राजस्व और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम गठित कर प्रतिबंधित दवाओं, एक्सपायर दवाओं और संचालित क्लीनिकों के लाइसेंस की जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अवैध या अनुचित दवा का बिक्री न हो और स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन सुनिश्चित करें। साथ ही उन्होंने अवैध क्लिनिक पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिये। कलेक्टर के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग एक्टिव मोड पर है। बलरामपुर जिले में संचालित अवैध क्लीनिक और दवाओं के अवैध बिक्री पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई तेज कर दी है।
झोलाछाप डॉक्टरों में हड़कंप
कलेक्टर के द्वारा निर्देश मिलते ही राजस्व और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम कार्रवाई करने के लिए एक्टिव हो गई है। इधर, झोलाछाप डॉक्टरों के रातों की नींद उड़ी हुई है। इन फर्जी डॉक्टरों ने कई लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। कार्रवाई के डर से अब वे सहमे हुए है। जैसे मानो अब इनका पूरा साम्राज्य खतरे में हो। ये झोलाछाप डॉक्टर शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाकों तक फैले हुआ है। इनके गलत इलाज से मासूम बच्चे समेत वृद्धों की अब तक मौत हो गई है।
झाड़-फूंक कर करते है इलाज
बलरामपुर जिले में फर्जी डॉक्टरों के मरीजों को ठीक करने के अलग-अलग अंदाज देखने को मिलते है। मरीजों को ये लोग डबल इलाज करते है। अगर मामला गंभीर है और दवाई से ठीक न हो रहे हो तो ये झोलाछाप डॉक्टर मरीजों को झाड़-फूंक कर ठीक करते है। इन्होंने भोले-भाले लोगों को लूटकर अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है।
BHMS और BAMS डॉक्टर लिखते है अंग्रेजी दवाई
बलरामपुर जिला भिन्न-भिन्न डॉक्टरों के कारनामे से भरा हुआ है। इस विषय में जितनी गहराई तक शोध की जा सके फिर भी कम है। हैरानी की बात तो यह है कि, जिले में कुछ ऐसे डॉक्टर भी है जो आयुर्वेद और होमियोपैथी की डिग्री लेकर मरीजों को अंग्रेजी दवाई लिखते है। पकड़े न जाए इसके डर से अलग पैंतरा लगाते है। ये लोग एक सादे चुटके में मरीजों को दवाई लिखते है। जिसमें न डॉक्टर के नाम और न ही डिग्री लिखे होते है। जिससे अगर कल पकड़े भी जाए तो यह साबित न हो सके कि यह दवाई किसने लिखी है।
गलत इलाज के कारण अब तक तीन की गई जान, इसमें विशेष जनजाति कोड़ाकू भी शामिल
बीते एक वर्षों में झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज से तीन लोगों की जान ऑन रिकॉर्ड गई है लेकिन यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। ये वैसे लोग है जिनका मामला सामने आया है।
CASE : 1 पहला मामला बीते दिनों का है। 8 वर्षीय मासूम को परिजन बलरामपुर के शंभू मेडिकल स्टोर लेकर पहुंचे। बच्चे के घुटने के पास घाव था। मेडिकल संचालक खुद को एमबीबीएस डॉक्टर समझकर डायरेक्ट इंजेक्शन लगा दिया। इंजेक्शन लगने के बाद ही बच्चे की हालत खराब होने लगी। आनन-फानन में परिजनों ने बच्चे को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे अंबिकापुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जहां पर मासूम ने आखिरकार दम तोड़ दिया।
CASE : 2 दूसरा मामला बीते कुछ दिनों पहले की है। बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर थाना अंतर्गत ग्राम गाजर की है। जहां विशेष पिछड़ा जनजाति कोड़ाकू के 70 वर्षीय बुजुर्ग सोहर को डायरिया हुआ था। परिजन झोलाछाप डॉक्टर इलियास अंसारी के पास लेकर गए। वहां कुछ दिनों तक उसका इलाज भी चला और फर्जी डॉक्टर ने मरीज के परिजनों को सख्त निर्देश दिया था कि, इन्हें कही लेकर जाने की जरूरत नहीं है। मैं ही ठीक कर दूंगा। डायरिया से ग्रसित वृद्ध मरीज की हालत नहीं सुधरी जिसके बाद परिजन उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज ले जाने लगे। लेकिन इलाज में देरी और गलत इलाज के कारण बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया। फिलहाल पुलिस इस मामले में मर्ग कायम कर पीएम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
CASE : 3 तीसरा मामला वर्ष 2024 के जुलाई माह का है। बलरामपुर जिले के रघुनाथनगर थाना क्षेत्र की महिला को पाइल्स की शिकायत थी। मेडिकल स्टोर से दवा लेने गई। संचालक ने दवा देने के बजाय खुद ऑपरेशन करने की सलाह दे दी। महिला बीमारी से छुटकारा पाने के लिए ऑपरेशन के लिए तैयार भी हो गई। मेडिकल स्टोर संचालक बिना एनेस्थीसिया, बिना लेडीज नर्स और बिना कोई उपकरण सीधा ऑपरेशन कर दिया। एनेस्थीसिया न देने के कारण महिला चीखती रही। ऑपरेशन के बाद महिला का दिन प्रतिदिन तबियत बिगड़ती गई और अंत में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में आखिरी सांस ली।
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