हजारीबाग। डीएपी और यूरिया जैसे रासानियक खाद का अधिक उपयोग करने से पोषण मूल्य समाप्त होने के साथ-साथ जानलेवा बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है। इससे बचने के लिए प्राकृतिक आधारित खेती करनी होगी। रसायन-मुक्त खेती को बढ़ावा देने के लिए जन जागरण केंद्र ने नाबार्ड के साथ मिलकर जीवा जैसे परियोजना को धरातल पर उतारा है, इससे क्षेत्र में समृद्धि और समाज सशक्त होगा। यह बात हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने किसानों व महिला स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहीं। सांसद विष्णुगढ़ प्रखंड की खरना पंचायत के भंडारी गांव में नाबार्ड समर्थित जीवा के उद्घाटन सह जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने पौराणिक व आधुनिक तरीके से खेती करने के तरीकों अपनी बात रखते हुए कहा कि रासायनिक खेती से कई तरह की बीमारियां हो रही हैं। बिलौती और टमाटर उगाने का तरीकों का उदाहरण देते हुए कहा कि बिलौती में उर्वरा कम दिया जाता था, इसलिए उसमें पोषण मूल्य (न्यूट्रेशन वैल्यू) अधिक होते थे अब यूरिया और डीएपी जैसे रासायनिक खाद के बल पर उगने वाला टमाटर में पोषक तत्वों की मात्रा कम हो गई है। शायद किसानों को यह पता हो कि कैंसर जैसे रोग रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के कारण हो रहा है।
यूरिया, डीएपी जैसे रासायनिक खाद से खेती करने की वजह से ही जानलेवा बीमारी हो रही है। स्वास्थ्य बेहतर हो इसके लिए रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देने के लिए लोगों के बीच जागरुकता अभियान चलाने की जरुरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विष्णुगढ़ के भंडारी गांव के लोग जागरूक हैं। एक वर्ष पहले चुनाव के वक्त मैं इस गांव में आया था, उस वक्त भी कृषि तकनीकी पर बात हुई थी। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक गौतम कुमार सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना 12 जुलाई 1982 को की गई।
ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कृषि के साथ लघु और कुटीर उद्योग स्थापित किया जा रहा है। किसानों के चेहरे पर खुशियां लाने के लिए नाबार्ड ग्रामीण विकास कार्यक्रमों को धरातल पर उतार रहा है। नाबार्ड सड़क, पुल-पुलिया संरचना को भी मजबूत करने में जुटा है। जीवा के पहले इस प्रखंड में बाड़ी कार्यक्रम चलाया गया था, जिससे क्षेत्र की महिलाएं सशक्त बनीं हैं। जीवा झारखंड में अग्रणी रहा हैं। रामगढ़ जिले के पतरातू और पश्चिम सिंहभूम में जीवा परियोजना संचालित है। इस योजना के तहत क्षेत्र के किसानों को प्रकृति आधारित खेती करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसके पूर्व संस्था के सचिव संजय कुमार सिंह ने विषय प्रवेश कराने के साथ जन जागरण केंद्र की गतिविधियों की जानकारी देते हुए जीवा परियोजना की उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। आइसीएआर के निदेशक डाॅ विशाल नाथ ने कहा कि जीवा परियोजना की तारीफ करते हुए कृषि एवं पशुधन अपशिष्ट से केचुआ खाद उत्पादन और वैज्ञानिक पद्धति से सब्जियों की उन्नत खेती करने का सुझाव दिया। उन्होंने प्राकृतिक खेती के माध्यम से मिट्टी का क्षरण और जल की बर्बादी को रोका जा सकता है।
उन्होंने समुदायों की क्षमता वृद्धि के लिये प्रशिक्षण लेने की जरुरत पर जोर दिया। वरीय पत्रकार उमेश प्रताप ने कहा कि अहमदाबाद प्लेन क्रैश की हृदयविदारक घटना में 241 लोगों की हुई दर्दनाक मौत को लेकर आज संपूर्ण देश शोक मना रहा है। आज हम बहुत कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं, सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि नाबार्ड का जीवा परियोजना प्रभावी होने से क्षेत्र में समृद्धि आएगी और इससे समुदायों की कार्य क्षमता बढ़ने के साथ किसानों की आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय स्थिति में समग्र सुधार होगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बिन्देश्वर साहू ने जल, जंगल, जमीन की हिफाजत करने की सलाह देते हुए स्थानीय संसाधनों पर आधारित कृषि विधियों को अपनाने की सलाह दी।
जीवा कार्यक्रम का उदघाटन सह जागरुकता कार्यक्रम को जिला कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की, जिला पशुपालन पदाधिकारी डाॅ न्यूटन तिर्की ने भी संबोधित किया। इस मौके पर नाबार्ड की डीडीएम रिचा भारती, एलडीएम किशोर कुमार, जन जागरण केंद्र के निदेशक अजय कुमार सिंह, सेवानिवृत्त अभियंता जयमंगल सिंह, भाजपा नेता खोखा सिंह, सांसद के मीडिया प्रभारी रंजन चैधरी सहित अन्य लोग उपस्थित थे। मंच संचालन मीनाक्षी शर्मा ने किया।
ये भी पढ़िए……..