चतरा। नव वर्ष का आगमन और पुराने साल की विदाई के मौके पर चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थली व धार्मिक पर्यटन स्थल कौलेश्वरी पहाड़ अंतर्राष्ट्रीय पिकनिक स्पॉट के रूप में शुमार है। यह जगह झारखंड और बिहार के सीमांत क्षेत्र में है। यहां जापान, चाइना, श्रीलंका, अमेरिका, भूटान, नेपाल, तिब्बत, कनाडा, सहित विभिन्न देशो से हजारो की संख्या में पर्यटकों का आगमन होता है। इस दौरान पूरा पर्वत विश्व के कई देशों के पर्यटकों से गुलजार होता है। पहाड़ में लोग पिकनिक का लुत्फ उठाते हैं। अलग-अलग देशो से आए पर्यटक एक दूसरे को अपने-अपने देशों के व्यंजन खिलाकर उनका स्वागत करते हैं।
इस दौरान पूरा पहाड़ देशी और विदेशी व्यंजनो की खुशबू से महक उठता है। कौलेश्वरी पर्वत पर मां कौलेश्वरी का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां शारदीय और वासंतिक नवरात्रों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आ कर मां की साधना करते हैं। तो वहीं नए वर्ष के आगमन पर पर्यटक यहां पहुंचकर प्रकृति का आनंद उठाते हैं। यह स्थल तीन धर्मों का संगम स्थली भी है। सनातन धर्म के साथ-साथ यहां बौद्ध और जैन धर्मावलंबी भी पहुंचते हैं।
दो हजार फीट की उंचाई पर स्थित सरोवर आगंतुकों को करता है आकर्षित
कौलश्वरी पहाड़ के सबसे उपर लगभग 2000 फिट पर स्थित सरोवर देशी समेत विदेशी पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। इतने उंचाई पर स्थित सरोवर में फोटो खिंचवाने और सेल्फी के लिए स्थानीय सैलानियों के साथ विदेशी पर्यटको का हुजूम उमड़ पड़ता है। वहीं पहाड़ पर स्थित विशाल गुफाएं विदेशी पर्यटकों के लिए किसी आशियाने से कम नही होता। गुफाओ में विदेशी पर्यटक ठहरते हैं और इस अदभुत दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर अपने देश ले जाते हैं। पहाड़ पर स्थित भीम गुफा, मंडवा मंड़इ, बाणगंगा, भीम पहाड़ सहित दर्जनो प्राचीन स्थलों पर जाकर अपना समय व्यतीत करते हैं।
पहाड़ के शिखर आकाश लोचन पर चढ़कर करते है नए साल का स्वागत
कौलेश्वरी पर्वत के सबसे उंचे शिखर आकाश लोचन पर चढ़कर विदेशी और स्थानीय पर्यटक नए साल का स्वागत करते हैं और अपने अपने देश का झंडा लगाकर नए साल को यादगार बनाते हैं। नए साल के आगमन और विदेशी पर्यटकों के कौलेश्वरी पहाड़ आने पर स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है।
यहां आज भी छुपे कई रहस्य
कौलेश्वरी पर्वत पर आज भी कई रहस्य छुपे हुए हैं। जिसका उद्भेदन इस वैज्ञानिक युग में भी नहीं हो पाया है। यहां का अकाश लोचन और भीम गुफा काफी रमणिका स्थल है। भीम गुफा में कई रहस्य आज भी दबे हुए हैं। लगभग 2000 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ के अंतिम शिखर पर स्थित सरोवर भी रहस्यों से भरा हुआ है। यह सरोवर गर्मी, बरसात, शरद कभी भी नहीं सुखता है। पहाड़ पर पहुंचने वाले आगंतुक सरोवर की शीतल जल से स्नान करना नहीं भूलते।
प्रसिद्ध निरंजना नदी के तट पर बसा है कौलेश्वरी पहाड़
जिले का विश्व प्रसिद्ध कौलेश्वरी पहाड़ उत्तरवाहिनी निरंजना नदी के तट पर बसा हुआ है। नीरजना बिहार के गया में जाकर फल्गु नदी के नाम से प्रसिद्ध है। यह मोक्षदायिनी नदी है। कौलेश्वरी पर्वत पर पहुंचने वाले लोग एक बार निरंजना के दीदार के लिए जरूर पहुंचते हैं।
अज्ञात वास में पहुंचे थे पांडव
किदवंती है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के समय पांडव यहां समय गुजारे थे। इसके कई निशान पर्वत पर आज भी मौजूद है। भीम गुफा को महाभारत काल से ही जोड़कर देखा जाता है।
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