हजारीबाग, अमरनाथ पाठक, (सीनियर एडिटर)। 18 जनवरी की सुबह करीब छह बजे जैसे ही आंख खुली और मोबाइल से फेसबुक पर नजर गई, तो प्रेस क्लब हजारीबाग के अध्यक्ष उमेश प्रताप भैया के वॉल पर नजर गया और शैलेश भैया की फोटो देखी, तो मन सहम गया। फिर कोरी कल्पना का मन में उठा भाव अगली पंक्ति से ही हकीकत में तब्दील हो गया। सहसा मन विचलित हो उठा और आंखें शून्य में चली गईं…और शैलेश भैया के साथ बिताया हर वह पल घूमने लगा और धूमिल यादें ताजा हो उठीं। विनोबाभावे विश्वविद्यालय हजारीबाग से लौटने के बाद हजारीबाग हिन्दुस्तान ऑफिस में सहेजकर रखी एक-एक प्रेस विज्ञप्ति कोरे कागज पर अक्षरों में अंकित हो उठती थीं। मैंने पूछा कि भैया आप प्रेस विज्ञप्ति क्यों बनाते हैं ? इस सवाल पर वह सहज मुस्कुरा उठे और कहा-अमर जी…यही प्रेस विज्ञप्ति हमें पाठकों से कनेक्ट करता है। यह अखबार की लक्ष्मी होती है और जब इसे दरकिनार करेंगे, तो समझो आपकी पत्रकारिता और अखबार के दुर्दिन आ गए।
सात फरवरी वर्ष 2007 को कनहरी हिल के गेस्ट हाउस में परमादरणीय संपादक महोदय श्री हरिनारायण सिंह के समक्ष वह मुझे लेकर गए थे और कहा था कि He is meritorious boy, He is dedicated person और फिर वहां से मेरी शुरू हुई थी हिन्दुस्तान की यात्रा। विनोबाभावे विश्वविद्यालय हजारीबाग में कॉमर्स डिपार्टमेंट में प्राध्यापक और हजारीबाग हिन्दुस्तान के प्रभारी रहे पत्रकारिता जगत में अविस्मरणीय स्थान बनाने वाले डॉ शैलेश शर्मा एनसीसी से भी जुड़े रहे। सन् 80 के दशक में वह उत्तर प्रदेश मेरठ से हजारीबाग आए और यहीं जीवन पर्यंत उनकी कर्मभूमि बनी रही। सेवानिवृत्ति के बाद वह कहते थे कि वह हजारीबाग में सांध्य दैनिक निकालना चाहते हैं। उन्होंने ‘हजारीबाग स्टार’ नामक अखबार का रजिस्ट्रेशन भी कराया। वह कहते थे कि आप ही उसके संपादक होंगे। काश ! वह अपना सपना पूरा कर पाते। लेकिन नियती को कुछ और ही मंजूर था।
उनके लिए श्रद्धांजलि जैसे शब्दों को मेरे लिए लिखना आसान नहीं होगा। हां, उनका सपना दैनिक अखबार ‘वर्ल्ड वाइज न्यूज’ के जरिए पूरा करने का हर संभव कोशिश करूंगा। वह अस्सी के दशक के प्रखर और मुखर पत्रकार रहे हैं। एक बार कड़क माने जाने वाले डीसी अरुण कुमार सिंह से संवाद को हिन्दुस्तान में उकेरा था कि ‘पत्रकारों नहीं प्रशासन की आंखों में हैं गड्ढे।‘ दरअसल डीसी से उन्होंने कहा था कि हजारीबाग मेन रोड में गड्ढे हैं या गड्ढों में मेनरोड, तो डीसी ने कमेंट किया था कि पत्रकारों की आंखों में गड्ढे हैं। इस पर शैलेश भैया ने हिन्दुस्तान में फोटो समेत सच की तस्वीर दिखाकर उक्त संदेश को सार्थक किया था। साथ ही पत्रकारों के प्रति अपने मर्म को भी दर्शाया था। हिन्दी और अंग्रेजी के प्रखर विद्वान शैलेश भैया ने सभी को अपनापन और आदर का भाव दिया। यह मेरा अपना अनुभव रहा है। किसी का कद्र करना उन्होंने सिखाया। उन्होंने सदैव बड़े भाई का प्यार और स्नेह दिया…साथ ही विश्वास भी रखा।
जब भी घर पर मिलने गया, पूरे परिवार ने सदस्य की भांति स्वागत किया। उन्होंने राष्ट्रीय नवीन मेल, प्रभात खबर, दैनिक हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान टाइम्स, द पायोनियर जैसे अखबारों में अपनी पत्रकारिता का लोहा मनवाया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और परिवार को दु:ख सहने की क्षमता दें। वह यादों में सदैव अमर रहेंगे…।
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