अमरनाथ पाठक (सीनियर एडिटर), रांची। माननीय कैलाश, करोड़ों बच्चों के आस… शांति नोबेल पुरस्कार से नवाजे गए माननीय कैलाश सत्यार्थी के लिए इस संदेश के साथ उन्हें 70वें जन्मदिवस की बहुत शुभकामनाएं। आप स्वस्थ और सानंद रहें और बच्चों के सुरक्षित जीवन के लिए आपके चाहनेवालों के साथ यह कारवां बढ़ता रहे। बहुत खुशी हुई जब गोविंद खनाल ने कैलाश सर के जन्मदिवस पर उनके फेसबुक लाइव पर चलते सुरक्षित बचपन दिवस कार्यक्रम से मुझे जुड़ने को कहा। यह वही गोविंद खनाल हैं, जिन्होंने मुझे कैलाश सत्यार्थी सर से फेस टू फेस परिचित कराया और उनके अभियान व मुहिम के साथ जुड़ने का सौभाग्य दिलाया।
वर्ष 2006 में गोविंद जी और मुक्तारूल भाई साहब के प्रयास से झारखंड के हजारीबाग में एक बच्ची को बंधुआ मजदूरी से मुक्त करा कर उसे शिक्षा से जोड़ने का मौका मिला। फिर यह कारवां रूका नहीं और झारखंड में करीब 2000 बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराने की मुहिम में शामिल हुआ। इस गोविंद के जीवन को संवारने वाले भी भाई साहब कैलाश सत्यार्थी ही हैं। कभी गोविंद बाल बंधुआ मजदूर थे और जब कैलाश सर ने उन्हें गोद उठाया, तो वह बचपन बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय सचिव तक बने और झारखंड के कोडरमा, गिरिडीह, नवादा, हजारीबाग, रांची आदि में अभियान छेड़कर सैकड़ों बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया। जब गोविंद जी का फोन आया, तो सीधा कैलाश सत्यार्थी जी के फेसबुक लाइव से जुड़ा। इसमें सुरक्षित बचपन दिवस कार्यक्रम चल रहा था और उसपर कैलाश सर लाइव थे और उनके समक्ष अपना अनुभव साझा कर रही थीं झारखंड स्थित कोडरमा की नीलम कुमारी। फिर अरविंद कुमार शर्मा, यूपी के साकिर खान, नुजहत, बाल पंचायत की नेहा नाज, राजस्थान बाल पंचायत की मुद्रिका आदि ने अपने अनुभव साझा किए। साथ ही कैलाश सत्यार्थी के मार्गदर्शन में बालश्रम व दहेज उन्मूलन, शिक्षा, बाल विवाह, बेटियों को आगे बढ़ाने समेत कई मुद्दों पर खुद के किए गए कार्यों के अनुभव को साझा किया। साथ ही कई सवाल भी रखे, जिसका कैलाश सर से सरल और सहज तरीके से जवाब देते हुए बड़ा संदेश दिया।
उन्होंने जाति-धर्म का भेदभाव मिटाने, दूसरों के प्रति करुणा का भाव रखने, इंसानियत के तकाजे का पाठ पढ़ाया। उन्होंने युवाओं की शक्ति को अनंत बताया और सत्यपथ पर चलने की राह को सबसे बड़ा ताकत बताया। उन्होंने जात-पांत से ऊपर उठकर नए दोस्त बनाने, दोस्तों के साथ सम्मान का भाव रखने, लड़के-लड़कियों के बीच भेदभावा मिटाने आदि का संदेश दिया। इजराइल और फिलिस्तीन के मामले में हमास को आतंकवादी संगठन करार देते हुए बताया कि यहूदी हों या मुसलमान दोनों हमारे बच्चे हैं। उनका जीवन सुरक्षित करने के लिए उन्होंने नोबेल पुरस्कार आयोजकों और अपने मित्रों से गुजारिश की कि बच्चों को बचाएं। बच्चे किसी भी गलतियों के जिम्मेवार नहीं। 104 नोबेल पुरस्कार विजेता उनके साथ आए और उनके हस्ताक्षरित पत्र राष्ट्राध्यक्षों को भेज बच्चों का जीवन बचाने के लिए आवाज बुलंद की। अंत में कैलाश सत्यार्थी ने चुटकी ली कि यह उनका 70वां नहीं, 17वां जन्मदिन है।
कैलाश सत्यार्थी ने कभी पटना में सुरक्षित बचपन के लिए बड़ा आंदोलन छेड़नेवाले बीबीए के कार्यकर्ता से हाजी बने मुक्तारूल हक से जुड़ी दास्तां भी सुनाई। फेसबुक से जुड़े सभी लोगों ने कैलाश सर को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। मंच संचालन किंसु कुमार कर रहे थे।
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