हजारीबाग। गौतम बुद्ध शिक्षण प्रशिक्षण कॉलेज मुकुंदगंज, हजारीबाग में शनिवार को लेक्चर सीरीज (व्याख्यानमाला) का समापन हो गया। समापन समारोह के अतिथि विभावि यूसेट के सहायक प्राध्यापक और एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ खेमलाल महतो ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और संवर्द्धन में पौधों के साथ जीव-जंतुओं और प्रकृति की अहम भूमिका है। उन्होंने उदाहरण के साथ बताया कि भारत की हर संस्कृति, धर्म और त्योहार प्रकृति का अनुपम उपहार है। इसके संरक्षण और संवर्द्धन के साथ संजोकर रखने की जरूरत है। उन्होंने स्मार्ट विलेज और सिटी की तरह जंगल, पहाड़ और नदियों को स्मार्ट बनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत में हर वर्ष सिंगापुर के क्षेत्रफल के बराबर जंगल उजड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि चिड़ियां सर्वाधिक पौधरोपण के वाहक हैं। उन्होंने चिपको आंदोलन और वृक्षों की रक्षाबंधन की वकालत की। उन्होंने प्रकृति के स्वभाव, विलुप्त होते वन्यप्राणी, शुद्ध हवा की कमी, बदलते मौसम के मिजाज, प्रतिवर्ष 600 करोड़ टन से अधिक होते कार्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन के कारण पिघलता ग्लेशियर और उससे उत्पन्न होनेवाले भावी खतरे से आगाह कराया। उसका कारण और उससे बचाव के उपाय पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने एनएसएस कार्यकर्ताओं की इसमें बड़ी भूमिका और जिम्मेवारी से भी अवगत कराया। उन्होंने कहा कि एक वृक्ष किसी भी व्यक्ति के 10 संतान के समान हैं। उन्होंने लोगों को कुछ आदतों में परिवर्तन लाकर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने में सहयोग की अपील की। उन्होंने घनघोर पेड़-पौधों से आच्छादित झारखंड का अर्थ विशालकाय की श्रेणी में बताया। उन्होंने पर्यावरण से संबंधित कई नारे दिए। कार्यक्रम में सहायक प्राध्यापक पुष्पा कुमारी ने वृक्ष धरा का भूषण है, करता दूर प्रदूषण है… के लगे नारे लगाए।
इससे पहले डॉ खेमलाल ने पर्यावरण पर लिखी अपनी लिखी पुस्तक प्राचार्य को भेंट की। प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार यादव और सहायक प्राध्यापिका कुमारी अंजलि ने अतिथि का सम्मान किया। सहायक प्राध्यापक दशरथ कुमार ने अतिथि परिचय कराया। मंच संचालन प्रशिक्षु मुकेश कुमार और धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक अनिल कुमार ने किया। राष्ट्रीय गान के साथ व्याख्यान का समापन हुआ। लेक्चर सीरीज में आइक्यूएसी को-ऑर्डिनेटर डॉ बसुंधरा कुमारी, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ पुष्पा कुमारी, जगेश्वर रजक, महेश प्रसाद, एसएस मैती, गुलशन कुमार, संदीप खलखो, डॉ दीपमाला, रचना कुमारी, दिलीप कुमार सिंह, संदीप कुमार सिन्हा समेत सभी प्राध्यापक और प्रशिक्षु मौजूद थे।
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