धमतरी। शहर- अंचल में गणेशोत्सव की धूम है। गणेश पंडालों में बनाई गई मनोरम झांकियां बरबस ही लोगों को आकर्षित कर रही है। शहर में जगह-जगह सार्वजनिक उत्सव समितियों की ओर से भगवान श्रीगणेश की नयनाभिराम मूर्तियों को देखने लोग पंडालों तक पहुंच रहे हैं।
आमापारा के बनिया तालाब में स्थित गणेशजी और चन्द्रयान की झांकी को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे है। शाम ढलते ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। 11 दिवसीय गणेशोत्सव को लेकर धमतरी में धर्ममय वातावरण निर्मित हो गया है। आमापारा में सत्यम गणेश उत्सव समिति द्वारा तालाब में मूर्ति स्थापित कर झांकी बनाई जाती है। तालाब के किनारे से करीब 65 फीट दूर पानी में स्टेज सजाकर चन्द्रयान की झांकी सजाई है। करीब 15 फीट ऊंचे तथा सात फीट चौड़ाई वाले यह चन्द्रयान की झांकी देखते ही बन रही है। इसे देखने के लिए शहर समेत दूर-दराज गांवों से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। समिति की ओर से पिछले 16 सालों से बनिया तालाब के 12 फीट गहरे पानी में गणेशजी स्थापित करते आ रहे हैं। समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र नाग, उमेश नाग, दिनेश पटेल, पप्पू पटेल, विकास साहू, जीवेश साहू ने बताया कि इसके पहले शहर की ज्वलंत समस्या को देखते हुए बाइपास सड़क की झांकी बनाई थी। इसके अलावा स्वच्छता को लेकर जागरूक करने एक कदम स्वच्छता की ओर झांकी सजाया था। पीएम आवास, समुद्र मंथन, रामसेतु की झांकी सजा चुके है।
समिति के कार्यकर्ता उत्तम सिन्हा, दीपक सिन्हा, पदुम पटेल ने बताया कि 16 साल पहले उनकी समिति तालाब के किनारे गणेशजी स्थापित करते थे। बड़ी मेहनत कर पंडाल सजाते थे, लेकिन इसे देखने श्रद्धालु नहीं पहुंच पाते थे। इसे लेकर समिति के कार्यकर्ता भी उदास हो जाते थे। तब से लेकर अब तक नवाचार करते हुए बनिया तालाब के गहरे पानी में नयनाभिराम झांकी सजा रहे हैं। आज धमतरी में इसे तरिया के गणेश के नाम से ख्याति मिली है। धमतरी के साथ ही पड़ोसी जिले दुर्ग, बालोद, कांकेर, महासमुंद, रायपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां गणेशजी का दर्शन करने पहुंचते हैं।
बांस के सहारे बना है रास्ता
समिति के कार्यकर्ता लक्ष्मण धीवर,भोलू नाग, गोलू पटेल, मोनू यादव, भावेश सिन्हा, प्रफुल नाग, तिलेश सिन्हा, पदुम पटेल ने बताया कि बनिया तालाब के अंदर गणेशजी विराजित करने के पीछे समिति के कार्यकर्ताओं का एक ही उद्देश्य है कि धर्म- कर्म के कार्यों में लोगों को बढ़-चढ़कर भाग ले। साथ ही आपसी एकता और भाईचारे की भावना बढ़े। कार्यकर्ताओं ने बताया कि तालाब के अंदर सिर्फ बांस के सहारे ही यह रास्ता बनाया गया है जिसमें चलकर श्रद्धालु भगवान जी का दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।
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