हजारीबाग, डॉ. गंगा नाथ झा (जनजातीय शोध अध्ययन के विशेषज्ञ)। तिलका मांझी की भूमि बिहार में, जनजातीय गौरव दिवस मनाना सही मायने में स्वतंत्रता सेनानी, तिलका मांझी के साथ-साथ भारत के सभी जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि है. बिहार 15 नवंबर, 2024 को जमुई जिला में जनजातीय गौरव दिवस मना कर गौरवान्वित होने जा रहा है.
ठीक 24 साल पहले 15 नवंबर, 2000 को बिहार से अलग होकर बिहार का दक्षिणी हिस्सा झारखंड राज्य बना था. दक्षिण बिहार में बसने वाली अधिकांश जनजातीय आबादी, झारखंड के हिस्से में आ गयी थी. एक दशक बाद यानी 2011 की जनगणना से यह बात सामने आई कि, बिहार में 13, 36,573 जनजातीय आबादी है. इस आबादी में मुख्य रूप से, 406076 जनसंख्या संथाल की है. इसके अलावा यहां दूसरे स्थान पर गोंड 2,56,738, तीसरे स्थान पर थारू की जनसंख्या 159939 है. उरांव और खरवार, जनसंख्या की दृष्टि से क्रमशः चौथे और पांचवें स्थान पर हैं. बिहार में उरांव की जनसंख्या 144470 है. इसी तरह बिहार में खरवार की कुल जनसंख्या 125811 है.
यहां पांच ऐसी जनजातियां निवास करती हैं जो अति कमजोर और संवेदनशील है. इन्हें पर्टिकुलरली वलनरेबल ट्राइबल ग्रुप (पीभीटीजी) कहा जाता है. 2006 से पहले इन्हें, आदिम जनजाति कहकर संबोधित किया जाता था. इनमें बिरहोर, माल पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, परहिया और कोरबा शामिल है. एक समय इन पांचों जनजातियों का जीवन, कंद मूल संग्रह और शिकार पर निर्भर था. लेकिन इनके जीवन में समय के साथ बदलाव आया है.
शिकार पर प्रतिबंध लगा. ये पांचो जनजातियां, जीवन यापन के लिए कंदमूल संग्रह के अलावे, कृषि मजदूरी, बकरी पालन, मुर्गी पालन तथा अन्य तरह की मजदूरी करने लगे हैं. बिहार की अति संवेदनशील माल पहाड़िया जनजाति, 20 गांवों में निवास करती है. जबकि सौरिया पहाड़िया 19 गांव में, बिरहोर चार गांव में, कोरबा एक गांव में और परहिया चार गांव में निवास करती हैं. कुल मिलाकर बिहार में 7631 पीवीटीजी निवास करती हैं. इनमें सबसे अधिक जनसंख्या सौरिया पहाड़िया की,3933 है. बिहार में बहुत सारे माल पहाड़िया अपनी पहचान के लिए काफी दिनों से संघर्षरत थे. जमुई, मुंगेर और बांका जिला के कई गांव में निवास करने वाली माल पहाड़िया जनजाति अपने नाम के पीछे पुजहर, नैया/नइया और खैरा लिखती रही है.इन्हें अपने सरनेम के कारण, माल पहाड़िया का जाति प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा था.
इन सभी का संबंध माल पहाड़िया सरनेम वाले माल पहाड़िया से है. जनजाति के लिए निर्धारित मापदंड की कसौटी पर यह खड़े उतरते हैं. इनका वैवाहिक संबंध माल पहाड़िया सरनेम वाली जनजातियों से होते हुए भी ये माल पहाड़िया के जाति प्रमाण पत्र से वंचित थे. लेकिन 2015 में बिहार सरकार, सामान्य प्रशासन विभाग के संकल्प द्वारा इनकी समस्याओं को दूर करने के लिए सराहनीय कदम उठाया गया. बिहार सरकार ने ज्ञापांक-11आ.नी.,-111-07/2013 सा.पृ. 6135 पटना-15, दिनांक22.04.2015 के द्वारा पुजहर, लैया, खैरा माल पहाड़िया की पहचान की समस्या को दूर कर इनके सर्वांगीण विकास के लिए नैया, खैरा और पुजहर सरनेम वाले माल पहाड़िया को जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने का आदेश जारी किया.
अभी बिहार में माल पहाड़िया की जनसंख्या 2785 है. पुजहर, लइया और खैरा सरनेम वाले, माल पहाड़िया का सर्वे कराकर इनकी वास्तविक जनसंख्या से अवगत होने की आवश्यकता है. इनके ऊपर गहन शोध अध्ययन करने की आवश्यकता है. गहन शोध अध्ययन से ,इनकी समस्याओं की जानकारी मिलेगी और इनकी समस्याओं का समाधान होगा. बिहार में जनजाति के सर्वांगीण विकास के लिए चिंतन -मनन के उपरांत,विकास योजनाओं के निर्माण और सफल क्रियान्वयन पर ध्यान देने की आवश्यकता है. (लेखक विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग में मानव विज्ञान विभाग के प्राध्यापक हैं।)
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