हमीरपुर (50 Years Of Emergency)। हमीरपुर जिले में इमरजेंसी के दौरान यहां इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाने के लिए सड़कों पर बड़ा आन्दोलन हुआ था। संघ और स्कूल-कालेजों के छात्रों ने भी पुलिस की मौजूदगी में इंदिरा गांधी के खिलाफ नारेबाजी की थी जिस पर पुलिस ने आंदोलन करने वालों नेताओं और छात्रों को गिरफ्तार कर बड़ी यातनाएं दी थी। इमरजेंसी में लोगों का घर से निकलना भी दुश्वार हो गया था। इमरजेंसी की यादकर आज भी लोग सिंहर उठते है।
देश में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने अपने विरोधियों को ऐसा सबक सिखाया था कि उसकी याद आते ही यहां लोग काँप उठते है। हमीरपुर नगर के रहने वाले सरस्वती शरण द्विवेदी वर्ष 1975 में राजकीय इण्टर कालेज में कक्षा दसवीं में पढ़ते थे। पढ़ाई के दौरान ये संघ से जुड़ गए थे। (50 Years Of Emergency) राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने इन्हें कई मुहल्लों से कार्यकर्ताओं की टोलियां तैयार कर शाखा में लाने की काम दिया था। इन्होंने देश में इमरजेंसी लगाए जाने पर साथियों के साथ विरोध किया, तो उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
इंदिरा गांधी के काले कानून की खिलाफ करने पर विद्यामंदिर इण्टर काॅलेज के प्रधानाचार्य स्व.जगदेव प्रसाद विद्यार्थी, मेहरनाथ निगम, सुखनंदन समेत सैकड़ों लोगों को अरेस्ट किया गया था। सरस्वती शरण को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा मिला है। (50 Years Of Emergency) जो आपातकाल की याद आते ही सहम जाते हैं। उन्होंने इमरजेंसी की कहानी बताते कहा कि इंदिरा गांधी के खिलाफ शहर से लेकर गांवों तक लोगों में गुस्सा भड़का था। इमरजेंसी के दौरान जबरन लोगों की नसबंदी की गई। जिससे गांव के गांव खाली हो गए थे। बताया कि मुस्करा क्षेत्र के दामूपुरवा गांव में ही सौ लोगों की जबरन नसबंदी की गई थी।
50 Years Of Emergency: स्कूल के आचार्य को विरोध करने पर पेड़ पर लटकार बरसाई गई था लाठियां
लोकतंत्र सेनानी सरस्वती शरण द्विवेदी ने बताया कि इमरजेंसी के दौरान उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री के इशारे पर यहां आम लोगों पर बड़ा अत्याचार हुआ था। सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य रामकेश को नीम के पेड़ में बांधकर पुलिस ने उन पर डंडे बरसाए थे। पुलिस की यातनाओं से सभी आचार्य समेत तमाम विरोधियों के पैर सूज गए थे। पिटाई करने के बाद सभी को जेल भेजा गया था। (50 Years Of Emergency) जहां सभी लोग कई दिनों तक दर्द से कराहते रहे। बताया कि विद्यामंदिर इण्टर कालेज के शिक्षक रघुराज सिंह, रामकुमार व संघ के कार्यकर्ता विजय पाण्डेय समेत कई लोगों को जेल की हवा खिलाई गई थी।
लोकतंत्र सेनानी सरस्वती शरण द्विवेदी ने बताया कि इमरजेंसी के दौरान उन्हें उस समय गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था जब वह दसवीं के छात्र थे। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के दिनों में साइक्लोस्टाइल में जनता अखबार यहां छपता था। इसके वितरण पर पाबंदी लगाई गई थी। (50 Years Of Emergency) उन्होंने बताया कि डीएम और पूर्व के बंगले के बाहर दीवार पर अखबार की प्रतियां चिपकाई गई थी, जिस पर स्थानीय खुफिया विभाग उनके पीछे लग गया था। बताया कि स्कूल के बाहर से उन्हें पुलिस पकड़कर कोतवाली ले गई थी। जहां कोतवाल ने बेरहमी से सभी को पीटा था। यातनाएं देने के सात दिनों बाद नाबालिग छात्र समेत अन्य लोगों को जेल भेजा गया था।
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