धमतरी, (हि.स.)। महंगाई के इस दौर में अपने पुश्तैनी कार्य को संभाले हुए कुम्हार परिवार कई तरह की समस्या से दो-चार हो रहे हैं। पुश्तैनी कार्य करके जीवनयापन कर रहे कुम्हार समाज के लोगों को खनिज नियमों सहित अन्य शासकीय नियमों के चलते समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं के निराकरण की मांग जिला कुम्हार समाज धमतरी ने की है।
कुम्हार समाज के लोगों का कहना है कि छत्तीसगढ़ राज्य में अन्य समाजों की तरह कुम्हार समाज भी निवासरत है और अपने पुश्तैनी कार्य घड़ा मटका, हस्तशिल्प के साथ ही लाल ईंट निर्माण से जुड़े हैं। खनिज संबंधी विधि नियमों के कारण उनकी रोजी रोटी छिन रही है। कुम्हार समाज की मांग है कि राज्य के कुम्हार समाज के लोगों को लाल ईंट निर्माण एवं विक्रय पर रायल्टी छूट सहित समाज के लोगों के लिये खनिज नियम में महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश की तरह विशेष राहत दिया जाये। इसी तरह जाति प्रमाण पत्र को लेकर भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। राज्य विभाजन के पूर्व मध्यप्रदेश के भौगोलिक क्षेत्र के व्यक्ति जो वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य के भौगोलिक राज्य में 1984 के बाधा को शिथिल करते हुए कुम्हार समाज के लोगों को यहां का निवासी मानते हुए जाति प्रमाण पत्र बनाया जाए। क्योंकि कई पीढ़ियों से यहां निवासरत है। घुमंतु जीवन जीने के कारण कोई स्थाई रिकार्ड नहीं है और ग्रामसभा से प्रस्ताव देने भी कोई ग्राम पंचायत सहमत नहीं है। इस समस्या पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए नियम को शिथिल किया जाए।
कच्ची सामग्रियों की कीमतें बढ़ रही है, इसलिए नहीं मिलता उचित मुनाफा
शिवकुमार कुंभकार, मनोज कुंभकार, देवेंद्र कुंभकार ने कहा कि महंगाई के इस दौर में कच्ची सामग्रियों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। मिट्टी भी आज के समय में खरीद कर लानी पड़ रही है। ऐसे में दिनों दिन यह कार्य महंगा होता जा रहा है। मिट्टी से बने कलश दीये, घड़े व अन्य खिलौने इसी कारण से हर साल महंगे महंगे होते जा रहे हैं। यदि इन सामग्रियों की कीमत कम होती है तो खिलौनो, घड़ों को कम कीमत में ग्राहकों बेंच पाते। सरकार की ओर से चलाई जा रही कई योजनाओं का जैसा लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि आज पुश्तैनी कार्य को छोड़कर कई कुम्हार परिवार के सदस्य अन्य व्यवसाय में रोजगार तलाशने लगे हैं। सरकार को इस दिशा में ठोस निर्णय लेते हुए कुम्हारों को रियायत देनी चाहिए।
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