बलरामपुर, विष्णु पांडेय। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का अलग अलग अंदाज देखने को मिलता है। यहां आयुर्वेद और होमियोपैथी के डॉक्टर अंग्रेजी दवा तक लिख देते है। और तो और मरीज का इलाज झाड़-फूंक से भी करते है। यदि झाड़-फूंक से काम नहीं बना तब इंजेक्शन का कमाल दिखाते है। यही फर्जी इलाज से कई लोग निपट भी गए है। गरीब का खून चूसकर हड्डियों के भी दाम निकाल लेते है। इनके इलाज से मरीज ठीक नहीं सीधा परलोक वास करते है।
बलरामपुर जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का मनोबल बढ़ा हुआ है। इसका कारण है, कोई ठोस कार्रवाई न होना। अगर इनके इलाज से किसी की मृत्यु होती है। तो प्रशासन कार्रवाई कर मेडिकल दुकान सील तो कर देती है लेकिन इन झोलाछाप डॉक्टरों की पहुंच इतनी है कि, चंद महीने के बाद फिर वापसी कर अपने काम में लग जाते है। गरीबों के खून चूस चूसकर अपना साम्राज्य इन्होंने खड़ा कर लिया है। एक इंजेक्शन का दाम 500 से 1000 रुपया है। जिसकी वास्तविक मूल्य आधे से भी कम रहती है। इन झोलाछाप डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई करना जरूरी है। अन्यथा इनलोगों के कारण कोई अपने मासूम बच्चा, तो कोई आपना पिता और कोई अपनी वृद्ध मां को खो देगा।

BHMS और BAMS लिखते है अंग्रेजी दवाई
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के ऐसे कई डॉक्टर है जो अपनी निजी क्लिनिक खोलकर और साथ में सरकारी सेवा भी दे रहे है। इसके साथ ही बीएचएमएस और बीएएमएस की डिग्री लेकर मरीजों का अंग्रेजी दवा से इलाज करते है। मरीजों को एक सफेद पन्ने में दवा लिखकर इलाज करते है। ताकि अगर कोई कार्रवाई भी हो तो डॉक्टर का नाम सामने नहीं आए। स्वास्थ्य विभाग को इनपर भी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
झोलाछाप डॉक्टरों की गलत इलाज से मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है। कई लोगों ने इनके गलत इलाज से बलरामपुर जिले में अपने परिजनों को खो दिया है। आइए समझते है सिलसिलेवार से: –
CASE 1 :- पहला मामला बीते दिनों का है। 8 वर्षीय मासूम को परिजन बलरामपुर के शंभू मेडिकल स्टोर लेकर पहुंचे। बच्चे के घुटने के पास घाव था। मेडिकल संचालक खुद को एमबीबीएस डॉक्टर समझकर डायरेक्ट इंजेक्शन लगा दिया। इंजेक्शन लगने के बाद ही बच्चे की हालत खराब होने लगी। आनन-फानन में परिजनों ने बच्चे को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे अंबिकापुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जहां पर मासूम ने आखिरकार दम तोड़ दिया।
CASE 2 :- दूसरा मामला बीते कुछ दिनों पहले की है। बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर थाना अंतर्गत ग्राम गाजर की है। जहां विशेष पिछड़ा जनजाति कोड़ाकू के 70 वर्षीय बुजुर्ग सोहर को डायरिया हुआ था। परिजन झोलाछाप डॉक्टर इलियास अंसारी के पास लेकर गए। वहां कुछ दिनों तक उसका इलाज भी चला और फर्जी डॉक्टर ने मरीज के परिजनों को सख्त निर्देश दिया था कि, इन्हें कही लेकर जाने की जरूरत नहीं है। मैं ही ठीक कर दूंगा। डायरिया से ग्रसित वृद्ध मरीज की हालत नहीं सुधरी जिसके बाद परिजन उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल ले जाने लगे। लेकिन इलाज में देरी और गलत इलाज के कारण बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया।
CASE 3 :- तीसरा मामला वर्ष 2024 के जुलाई माह का है। बलरामपुर जिले के रघुनाथनगर थाना क्षेत्र की महिला को पाइल्स की शिकायत थी। मेडिकल स्टोर से दवा लेने गई। संचालक ने दवा देने के बजाय खुद ऑपरेशन करने की सलाह दे दी। महिला बीमारी से छुटकारा पाने के लिए ऑपरेशन के लिए तैयार भी हो गई। मेडिकल स्टोर संचालक बिना एनेस्थीसिया, बिना लेडीज नर्स और बिना कोई उपकरण सीधा ऑपरेशन कर दिया। एनेस्थीसिया न देने के कारण महिला चीखती रही। ऑपरेशन के बाद महिला का दिन प्रतिदिन तबियत बिगड़ती गई और अंत में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में आखिरी सांस ली।
झोलाछाप डॉक्टरों पर लटकी तलवार, जांच के बाद होगा कार्रवाई का प्रहार
ऐसे फर्जी झोलाछाप डॉक्टरों के कारण कई लोगों के जान पर भी बन जाती है। इनकी डिग्री की जांच की जानी चाहिए। फिलहाल बीते दिनों बलरामपुर के एक मेडिकल संचालक के हाथों एक मासूम की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर नकेल कसने के लिए अभियान चलाया है। विभाग ताबड़तोड़ कार्रवाई कर सभी मेडिकल स्टोर्स इत्यादि की जांच कर रही है। बलरामपुर जिले के सीएमएचओ बसंत सिंह ने बताया कि, जिले के सभी छह अनुभागों के बीएमओ को जांच के आदेश दिए गए है। ताकि झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की जा सके। उन्होंने कहा, झोलाछाप डॉक्टरों की डिग्री, क्लीनिक और मेडिकल स्टोर्स की जांच की जाएगी। जांच के बाद दोषी पाए जाने वाले के ऊपर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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