हजारीबाग. हजारीबाग में चंद्र ग्रहण लगने के पहले सूतक काल के दौरान ही सभी मंदिरों के कपाट बंद रहे. हजारीबाग के मुख्य मंदिर महावीर स्थान, पंच मंदिर, ठाकुरबाड़ी बुढ़वा महादेव समेत सभी मंदिरों में सुबह से ही सन्नाटा पसरा रहा. पदमा के पं. परमानंद शर्मा ने ग्रहण को लेकर कई तरह की धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताएं बताईं. उन्होंने बताया कि चंद्र ग्रहण से नौ घंटे पहले सूतक लग जाता है. धर्म शास्त्र के अनुसार इस अवधि में किसी भी तरह के शुभ काम, पूजा-पाठ मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. इस कारण सभी मंदिर के कपाट चंद्र ग्रहण लगने के नौ घंटे पहले से ही बंद रहे.
मान्यताओं के मुताबिक, जब कभी ग्रहण (सूर्य या चंद्र) लगने वाला होता है, तो सूतक काल का भी जिक्र होता है. ब्रह्माण्ड में भी जब भी इस तरह की कोई घटना होती है, तो उसे अशुभ माना जाता है. इस अशुभ अवधि को ही सूतक काल कहा जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यग्रहण के दौरान चार पहर के लिए सूतक मनाया जाता है, जबकि चंद्रग्रहण के दौरान ग्रहण से पूर्व तीन पहर के लिए सूतक मनाया जाता है. सूर्योदय से सूर्यास्त तक आठ पहर होते हैं यानी तीन घंटे का एक पहर होता है.
चंद्र ग्रहण शाम 5:32 बजे से शुरू हुआ, जो देर शाम 6:19 बजे तक रहा. चंद्र ग्रहण के शुरू होने से ठीक 9 घंटे पहले सूतक काल लग गया है. नौ घंटे के बाद मंदिरों के कपाट खुल गए. धार्मिक मान्यता के अनुसार लोगों ने पुण्य स्नान कर मंदिरों में मत्था टेका. मान्यता के मुताबिक ग्रहण समाप्त होने के बाद लोगों ने पुण्यदान किया. ऐसे में कई लोगों ने मंदिरों और इसके आसपास के इलाकों में गरीब असहाय लोगों को गर्म कपड़ा, अनाज और पैसा दान किया.