हजारीबाग : बेतहाशा ठंड के कारण सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को आठ जनवरी तक के लिए छुट्टी दे दी गई है. ऐसे में बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं. शिक्षा सचिव के आदेशानुसार सरकारी शिक्षक स्कूल खोलकर बैठे हैं. साथ ही छुट्टी में रहनेवाले बच्चों को मध्याह्न भोजन कराने का आदेश दिया गया है. ऐसे में अगर बच्चे मध्याह्न भोजन नहीं कर रहे, तो उसका कोपभाजन भी शिक्षकों को बनना पड़ेगा. इस भय से शिक्षक ऊहापोह की स्थिति में हैं और गांव-देहात जाकर बच्चों को अपने पोषक क्षेत्र में तलाश रहे हैं. बच्चों को मध्याह्न भोजन की खातिर स्कूल भेजने के लिए अभिभावकों से मिन्नत-विनती भी कर रहे हैं.
नाम न छापने की शर्त पर एक शिक्षक कहते हैं कि अगर स्कूल छोड़कर बच्चों को बुलाने जाते हैं और किसी पदाधिकारी का निरीक्षण हो गया, तो उसमें भी वह फंसेंगे. अगर बच्चे मध्याह्न भोजन करने नहीं आते हैं, तो भी उन पर कार्रवाई होगी. अगर बच्चे स्कूल नहीं आए, तो मध्याह्न भोजन की बर्बादी भी होगी. दिन के एक बजे बच्चों को मध्याह्न भोजन के लिए बुलाया गया है. किसी वैवाहिक कार्यक्रम की तर्ज पर बच्चों को आमंत्रण और विजय कराना पड़ रहा है. लेकिन वरीय पदाधिकारियों का आदेश है, तो कोई न कोई युगत तो भिड़ानी ही होगी. इस संबंध में झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मो. अतिकुज्जमा कहते हैं कि कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को छुट्टी दे दी गई है, परंतु मध्याह्न भोजन खिलाना है, तो खाना बने कैसे. शिक्षक 9:00 बजे सभी बच्चों के घर घूम-घूमकर खाना के लिए आज्ञा मांगे और 1:00 बजे पुन: घूमकर विजय कराए. खाना न घटे और न बर्बाद हो. यह आदेश हतप्रभ करने जैसा और शिक्षकों को सिर्फ परेशान करने के लिए है.
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