हजारीबाग। आईवीएफ प्रक्रिया से जन्मे जुड़वां शिशुओं की कथित फेरबदल या चोरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि मामले में कुछ तो गड़बड़ है और विस्तृत जांच की आवश्यकता बताई।
याचिकाकर्ता उषा सिंह का आरोप है कि उन्होंने आईवीएफ के जरिए जुड़वां बच्चों—एक लड़का और एक लड़की—को जन्म दिया। प्रसव के तुरंत बाद उन्होंने दोनों शिशुओं को देखा, लेकिन अस्पताल से डिस्चार्ज के समय प्रबंधन ने उन्हें दो लड़कियां थमा दीं। बाद में कराई गई डीएनए जांच में खुलासा हुआ कि उन दोनों में से एक बच्ची उनकी जैविक संतान नहीं है।
याचिका के अनुसार, पुलिस ने डॉक्टरों की एक समिति की रिपोर्ट के आधार पर मामला बंद कर दिया था, जबकि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी याचिकाकर्ता की रिट खारिज कर दी। इसके खिलाफ दायर अपील पर मंगलवार को हुई सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से जवाब मांगा और मामले की निष्पक्ष व गहन जांच सुनिश्चित करने पर जोर दिया।
इस प्रकरण में हजारीबाग के रहने वाले अधिवक्ता जितेंद्र कुमार शर्मा ने अधिवक्ता अशोक कुमार और चांद कुरैशी के साथ मिलकर याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से दलीलें रखीं। अदालत की ताजा कार्रवाई से पीड़ित पक्ष को न्याय की उम्मीद जगी है।
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