विष्णु पाण्डेय, रांची। रांची स्थित रातू रोड की मधु संजीव की उकेरी सीता स्वयंवर की पेंटिंग का जादू अयोध्या में रामभक्तों के सिर चढ़कर बोला। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में नवनिर्मित भव्य मंदिर में गृहप्रवेश के अवसर पर आयोजित महोत्सव के उपलक्ष्य में स्वदेश संस्थान ने देश भर के कलाकारों को भगवान राम पर आधारित कलाकृति रचने का अवसर दिया। इसमें 500 से अधिक कलाकार शामिल हुए। सभी ने अयोध्या पर आधारित कला अपनी रंग और कूची से कैनवास पर उकेरा।
इसमें रांची स्थित रातू रोड की मधु संजीव ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। मधु की पेटिंग को भी इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया। मधु ने सीता स्वयंवर की पेटिंग मिथिला कला पर आधारित बनाईं। उनकी पेंटिंग की वहां खूब सराहना हुई। मधु संजीव का हजारीबाग और चतरा से गहरा संबंध रहा है। यहां उनका अखौरी शंभूनाथ सहाय और अखौरी विश्वंभरनाथ सहाय के परिवार में ननिहाल है। उनकी कलाकृतियों के अयोध्या में प्रदर्शन से अखौरी परिवार समेत पूरा झारखंड-बिहार गौरवान्वित हुआ है। “वर्ल्ड वाइज न्यूज” से खास बातचीत में मधु ने बताया कि मिथिला कला वस्तुत: मधुबनी पेंटिंग को ही कहते हैं। आज भले झारखंड हो गया, लेकिन 15 नवंबर 2000 के पहले संयुक्त बिहार ही था। ऐसे में मधुबनी पेंटिंग झारखंड की माटी में भी रची-बसी है।
कोरोना काल में मधु के पिता चल बसे। फिर नियती ने उनके पति संजीव कुमार ‘बबलूजी’ को भी उनसे छीन लिया। एक गंभीर बीमारी में उनका भी आकस्मिक निधन हो गया। दो होनहार बेटों की मां मधु पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। वह व्यथित जरूर हुईं, पर विचलित नहीं। वक्त के थपेड़ों और बेशुमार झंझावातों के बीच खुद को संभाला। दोनों बेटों को उनकी चुनी मंजिल तक पहुंचाया और फिर खुद को गमों के दौर के बीच मधुबनी पेंटिंग से जोड़ लिया। अब जिंदगी को एक नया मकसद मिल गया। इसका सुखद फलाफल भी देखने को मिला, जब उनकी सीता स्वयंवर की पेंटिंग का जादू भगवान श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में बोला। पिछले दो-तीन वर्षों के दौरान मधु ने जिंदगी के कई रूप देखे। अब अपना घर-परिवार संभालते हुए एक्जीविशन लगा अपनी मधुबनी पेंटिंग से सबको अवगत कराने में जुटी हैं। वह देश-दुनिया को फिल्म इम्तिहान के इस गाने के माध्यम से शायद संदेश दे रही हैं कि रूक जाना नहीं तू कहीं हार के…
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