हजारीबाग : डीवीसी से सेवानिवृत्त अपर मुख्य लेखा अधिकारी और ज्योतिष मार्तंड उपाधि से सम्मानित संजय सिंह ने कहा कि ज्योतिष भ्रम नहीं है. यह पूर्णतया विज्ञान और गणितीय गणना है. यह भारत की पुरातन विद्याओं में एक है. देश, काल और पात्र के अनुसार ग्रहों का जो प्रभाव पड़ता है, उसी के आधार पर ज्योतिषीय गणना की जाती है.
वह रविवार को बंशीलाल चौक स्थित भवानी प्लाजा में अपने कार्यालय मां तारा ज्योतिष प्रतिष्ठान में प्रेस को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि कुछ बाबाओं के आडंबर से लोगों का इस पर से विश्वास उठ रहा है. ज्योतिष के नाम पर लोगों को दिग्भ्रमित और उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर उनका आर्थिक शोषण किया जाने लगा. ज्योतिष का गहराई से अध्ययन और उस पर शोध व लोगों को जागरूक करने की जरूरत है.
कालांतर में फिरंगियों और अन्य राजाओं के शासन के दौरान भारत की अतिप्राचीन विद्याओं में शुमार ज्योतिष विद्या का अपभ्रंश हुआ.
उन्होंने कहा कि कोई भी ज्योतिषी किसी का किस्मत नहीं बदल सकता. गणितीय गणना से सचेत जरूर कर सकता है कि आगे की राह में किससे नुकसान हो सकता है. हर व्यक्ति अपने आप में ज्योतिषी है. ज्योतिष, विज्ञान और अध्यात्म परस्पर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. ज्योतिष शास्त्र को वेदों का नेत्र कहा गया है. इसका मूल उद्यम सृष्टि के गर्भ में छुपे हुए तथ्यों को जानने की उत्सुकता में निहित है. आकाश मंडल, निर्बाध गति से चलनेवाले रात-दिन और जन्म-मरण के चक्र व सूर्य, चंद्र तथा तारे के प्रति मानवों का कौतूहल अनादि काल से रहा है.
इसी के परिणामस्वरूप ज्योतिष विद्या का प्रादुर्भाव हुआ और ज्योतिष शास्त्र को विभिन्न ग्रहों व काल का बोध कराने वाले शास्त्र के रूप में स्थापित किया गया. ज्योतिष के प्रबल विरोधी भी उसके वैज्ञानिक पहलुओं की अवहेलना नहीं कर सकते. ज्योतिष सूचना एवं संभावनाओं का शास्त्र है. इस तरह ज्योतिष कोई भ्रम नहीं, बल्कि विज्ञान है. आवश्यकता है कि इस क्षेत्र में भरे पड़े ठगों को पहचानें और उनसे बचें.