बलरामपुर, अनिल गुप्ता: रामचंद्रपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत रामचंद्रपुर में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की लापरवाही के कारण आज मासूम बच्चे खुद मिलो पैदल चलकर अपने पीने का पानी खुद व्यवस्था कर रहे है. जिससे इनकी पढ़ाई बाधित हो रही है. आप अंदाजा लगा सकते है इस चिलचिलाती धूप में अगर कोई काम करने दिया जाए तो हालत ख़राब हो जाता है. वहीं इन नौनिहालों पर क्या गुजरती होगी. जिनके मां बाप यह सोंचकर स्कूल भेजते है कि जिस गरीबी में हमने अपना जीवन काटा है वहीं स्थिति मेरे बेटों या बेटियों को देखने को नसीब न हो. लेकिन स्कूल के प्रबंधन को इससे क्या फर्क पड़ता है. काम करो या न करो हर महीने मोटी रकम अकाउंट में क्रेडिट तो हो ही जाती है. शासन से तो इन्हें भरपेट राशन या यूं कहें कि मध्यान भोजन तो मिल ही जाता है, परंतु पानी नहीं मिलता इससे ज्यादा दुर्भाग्यजनक बात और क्या होगी कि जो मासूम बच्चे अपना भविष्य सवारने के लिए स्कूल में पढ़ाई करने जाते हैं उन्हें पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है. इस संबंध में सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रामचंद्रपुर के वार्ड क्रमांक 9 और 10 में पानी की घोर समस्या है. मिलो तक पैदल चलकर इस गर्मी के मौसम में चिलचिलाती धूप में गांव की महिलाएं, बच्चे और पुरुष पीने का पानी लाने के लिए दूसरे मोहल्ले के हैंडपंप पर निर्भर है. इस गांव के कई हैंडपंप में पीने योग्य पानी नहीं है और जो पानी आता भी है वह भी गंदा और मटमैला होता है. गांववालों की शिकायत के बाद भी विभाग ने अभी तक हैंडपंप सुधारने के लिए कोई पहल नहीं की है.
नौनिहालों से कौन भरवा रहा है पानी
अब सवाल यह उठता है कि आखिर छोटे बच्चों से कौन काम करवा रहा है. जो अपना भविष्य संवारने की आरजू लिए स्कूल पढ़ाई करने के लिए आते हैं, मगर इनसे पानी भरवाने के लिए कौन जिम्मेदार है. एक ओर तो कन्याशाला परिसर में 3-3 हैंडपंप है. जिसमें से वर्षों पहले दो हैंडपंप सूख चुका हैं और तीसरे हैंड पंप ने भी 2 माह पहले से ही आखरी सांसे ले ली है. दूसरी ओर गांववाले द्वारा बार-बार हैंडपंप सुधारवाने के लिए विभाग को कहां गया है, मगर विभाग ने कोई पहल नहीं की. दूसरी ओर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में बुलाया है न कि पानी भरवाने के लिए. स्कूल के चपरासी कहां है, और वह क्या कर रहे हैं. क्या पानी भरने के लिए उनकी ड्यूटी नहीं बनती है.
जानिए क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में जब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के जिले के अधिकारी आदित्य प्रजापति से जब बात की गई और उन्हें बताया गया तो उन्होंने कहां कि मैं तो पाइप और सामान भेज चुका हूं. पता करता हूं एडीओ से बात करके तभी वास्तविक स्थिति बता पाऊंगा. वहीं जब रामानुजगंज लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अनुविभागीय अधिकारी राजेश पांडेय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे तो पता ही नहीं है, पता कर रहा हूं. जनता प्यासी मर रही है मासूम बच्चे पढ़ाई की जगह पानी भरने को मजबूर है और अधिकारियों को पता ही नहीं है. जब इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी केएल महिलांगे से बातकर उन्हें बताया गया कि स्कूल के बच्चे पानी भर रहे है, चपरासी नहीं है क्या. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहां कि कहीं-कहीं प्राइमरी और मिडिल स्कूल में चपरासी है और कहीं पर नहीं है. मैं पता करता हूं कि उस स्कूल में चपरासी है कि नहीं. इस संबंध में विकासखंड शिक्षा अधिकारी प्रजापति का बहुत ही अच्छा जवाब आया उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो यह गलत हो रहा है. मैं पहले वहां देखता हूं चपरासी की नियुक्ति है की नहीं, मैं बच्चों से पानी भरवाने के पक्ष में नहीं हूं.
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