हजारीबाग। गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय मुकुंदगंज, हजारीबाग में शुक्रवार को दो दिवसीय नेशनल सेमिनार शुरू हो गया। सेमिनार के मुख्य विषय ‘भारतीय ज्ञान परंपरा के संवर्द्धन में उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका’ पर प्रकाश डालते हुए बतौर मुख्य अतिथि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय सेंट्रल यूनिवर्सिटी वर्धा महाराष्ट्र के डीन सह प्रोफेसर गोपाल कृष्ण ठाकुर ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से आचरण में सकारात्मक परिवर्तन आना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि हम अपने देश की पौराणिक विशिष्टताओं को पहचानें। फिर उच्च शिक्षण संस्थानों में प्राचीन भारतीय ज्ञान का शोध करें। विदेशी आक्रमणों में खो चुके भारत के समृद्ध अतिप्राचीन गणितीय, खगोलीय, मौसम, औषधीय और तकनीकी ज्ञान को एकत्रित कर सभी को एक साथ पिरोएं।
यह तय करें कि किस ज्ञान और परंपरा को हमें जीवित रखनी है और फिर उसे भावी पीढ़ी में समाहित करें। उन्होंने विलुप्त होते भारत के अतिप्राचीन कौशल को वापस लाने की वकालत करते हुए चिंतन, मनन और निरंतर अभ्यास पर बल दिया। साथ ही जिज्ञासु बनने और प्रश्न करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने की बात कही। कॉलेज के विवेकानंद सभागार में उन्होंने सभी को गीता जयंती की बधाई देते हुए भारत के प्राचीन इतिहास से सभी को रू-ब-रू कराया और भारत को पुन: विश्वगुरु बनने की राह पर ले जाने के कई प्रासंगिक उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने सीखने, सिखाने, प्रश्नों को कभी खत्म नहीं होने देने और विद्यार्थियों को जिज्ञासु बनने की ओर प्रेरित करने की बात कही।
विश्व के ज्ञान-विज्ञान में प्राचीन काल से ही भारत का मौलिक योगदान : डॉ शुक्ला
इंटरनल क्वालिटी एस्यूरेंस सेल (आईक्यूएसी) के तहत आयोजित नेशनल सेमिनार में बतौर अतिथि व वक्ता जेएनयू के स्कूल ऑफ संस्कृत और इंडिक स्टडीज के डीन प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार शुक्ला ने बदलती शिक्षा नीति और भारतीय परंपरा के संवर्द्धन में उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विश्व के ज्ञान-विज्ञान में भारत का प्राचीन काल से ही मौलिक योगदान रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उद्देश्य सही मायने में फलीभूत करना है, तो विलुप्त हो चुकी भारत की पौराणिक संस्कृति में समाहित ज्ञान को फिर से प्राप्त करना होगा। मन, कर्म और वचन को आत्मसात करेंगे, तभी आधुनिकता की उड़ान भर पाएंगे। उन्होंने सर्वसमावेशी शिक्षा की वकालत की। साथ ही खत्म हो चुके शास्त्रार्थ का दौर शुरू करने को कहा। भारतीय ज्ञान परंपरा को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की भी बात कही।
सदियों से भारत ज्ञान का पुंज खुद में समेटे हुए है : डॉ मिथिलेश
अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित करते हुए विनोबाभावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के कुलानुशासक डॉ मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा कि सदियों से भारत ज्ञान का पुंज खुद में समेटे हुए है। संपूर्ण विश्व को भारत ने ज्ञान बांटा है और हम खुद ही उस ज्ञान को विस्मृत कर रहे हैं। उन्होंने पहले अपने ज्ञान का सम्मान करने की बात कही। साथ ही पाठ्यक्रम में भारत की मूल भाषा संस्कृत और झारखंड की आदिवासी परंपरा को बढ़ावा देने का भी जिक्र किया।
भारतीय परंपरा विश्व का सर्वोत्तम दर्शन : डॉ तिवारी
बतौर विशिष्ट अतिथि विभावि के परीक्षा नियंत्रक डॉ गौरीशंकर तिवारी ने कहा कि भारतीय परंपरा विश्व का सर्वोत्तम दर्शन है। इसे आत्मसात करने की जरूरत है। उच्च शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रमों में इसका समावेश करना भी एनईपी-2020 का लक्ष्य है।
मनीषियों और दार्शनिकों से ही विश्व में भारत की पहचान : मनोज कुमार
गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि मनीषियों और दार्शनिकों से ही विश्व में भारत की पहचान रही है। उनके दर्शन को जीवन में समाहित कर फिर से भारत को जगत गुरु बनाना ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का मूल उद्देश्य है।
स्मारिका का विमोचन
राष्ट्रीय सेमिनार के उदघाटन सत्र में सभी अतिथियों ने ‘भारतीय ज्ञान परंपरा के संवर्द्धन में उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका’ पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया।
शॉल और मोमेंटो से अतिथियों का सम्मान
गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय प्रबंधन समिति के सचिव मिथिलेश मिश्र ने विषय प्रवेश और अतिथि परिचय कराया। साथ ही उपाध्यक्ष मनोज कुमार, प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार यादव, आईक्यूएसी की समन्वयक डॉ बसुंधरा कुमारी, डॉ पुष्पा कुमारी आदि के साथ अतिथियों को शॉल और मोमेंटो भेंट कर सभी का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मौजूद अन्य अतिथियों में मंचासीन विभावि के पूर्व कुलसचिव डॉ बंशीधर रूखैयार, उज्ज्वल भारत ट्रस्ट के उपाध्यक्ष अजय सिंह, मार्खम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्राध्यापक डॉ गजेंद्र सिंह, राजकीय बालिका उच्च विद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ राम इकबाल यादव, आईबीसीएन के कार्यकर्ता सह वरिष्ठ पत्रकार डॉ मुरारी सिंह समेत पूरा कॉलेज परिवार मौजूद था। मंच संचालन सहायक प्राध्यापिका कुमारी अंजलि ने किया। कार्यक्रम के पूर्व सभी अतिथियों ने कॉलेज कैंपस में स्थापित भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया।
राष्ट्रीय सेमिनार का समापन आज
गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय नेशनल समारोह का समापन 23 दिसंबर को होगा। समापन समारोह के मुख्य अतिथि विभावि के सेवानिवृत्त रजिस्ट्रार प्रोफेसर डॉ. इएन सिद्दिकी होंगे। सेमिनार में पूर्व रजिस्ट्रार डॉ बंशीधर प्रसाद रूखैयार, बीएचयू फैकल्टी ऑफ एजुकेशन के प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र पांडेय और विभावि डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के प्रो. मृत्युंजय प्रसाद टेक्नीकल प्रेजेंटेशन देंगे।
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