नई दिल्ली। फ्रैंज काफ्का को बीसवीं सदी का सर्वश्रेष्ठ लेखक माना जाता है। प्राग में 03 जुलाई 1883 में जन्मा यह महान लेखक 03 जून 1924 को स्मृतिशेष हो गया। प्राग 1883 में ऑस्ट्रिया-हंगरी का हिस्सा था। उनके माता-पिता जर्मन भाषी यहूदी थे। कानून में स्नातक काफ्का के जीवनकाल में उनकी कुछ ही रचनाएं प्रकाशित हुईं। निधन के बाद उनके मित्र मैक्स ब्रॉड ने उनकी अधिकांश रचनाएं छपवाईं। काफ्का की रचनाओं के पात्र अलगाव की भावना से जूझते नजर आते हैं। उनके लेखन में चिंता, भय और अनिश्चितता के विषय भी हैं। काफ्का के लेखन में कहीं-कहीं सत्ता और अधिकार का संघर्ष भी झलकता है।
आज दुनिया भर के साहित्यकार उनसे प्रेरणा पाते हैं। उनके वैश्विक महत्व का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उनके नाम पर शब्द तक गढ़ा गया है। मनुष्य की ऐसी परिस्थिति, जिसमें उसे कोई रास्ता नहीं सूझता और वह चारों ओर मुश्किलों में घिरा होता है उसे ‘काफ्काएस्क’ कहा जाता है। उनकी रचनाएं ‘मेटामाफोर्सिस’, ‘द ट्रायल’ और ‘द कैसल’ को दुनियाभर में खूब सराहना मिली। खास बात यह है कि कम ही लोग प्रसिद्धि के उस शिखर तक पहुंच पाते हैं जहां पर न केवल उनके नाम, बल्कि उनके काम को भी समर्पितसंग्रहालय बन पाए। फ्रेंज काफ्का की गिनती ऐसे ही लोगों में होती है। काफ्का को समर्पित संग्रहालय में कई किताबों के प्रथम संस्करण, काफ्का के चित्रों, उनकी डायरी और उनके लिखे अक्षरों को प्रदर्शित किया गया है।
और यह भी कि यह हासिल उसे तब मिला जब मौत उसे टीबी के बहाने खींच ले गई। वह टीबी के कारण खाना तक नहीं खा पा रहा था। फ्रेंज ऐसा रचनाकार है, जिसने अपना लिखा ज्यादातर साहित्य खुद जला दिया। मरते वक्त बाकी रचनाएं उसने अपने दोस्त मैक्स ब्रॉड को इस वादे के साथ सौंपी कि वह सबको जला देगा। मगर मैक्स ने उसे छपवाया। काफ्का की प्रेमिका डोरा के पास भी उसका लिखा बहुत कुछ था। उसने भी उसे छपवाया। नोबेल विजेता गेब्रियल गार्सिया मार्केज ने एक बार काफ्का के बारे में कहा था, ”जब मैंने द मेटामोर्फोसिस पढ़ी तब मैंने जाना कि ‘अलग तरह से’ भी लिखना संभव है।” याद रखना चाहिए इसे पढ़ने के बाद ही मार्केज हंड्रेड इयर्स ऑफ सॉलीट्यूड जैसी रचना संसार को दे पाए।
प्राग में काफ्का संग्रहालय देख चुके भारतीय लेखक दयाशंकर शुक्ल यात्रा संस्मरण में लिखते हैं, ”लाल घपरैल की छत के घर के बाहर आपको अंग्रेजी अक्षर का लकड़ी के लॉकेट की तरह बने निशान पर ‘के’ लिखा है। यानी आप काफ्का के म्यूजिम पहुंच गए। मैं सोचता हूं ये लकड़ी, उसी डॉगवुड ट्री से बनी है, जिस दरख्त की लकड़ी से बनी सूली पर ईसा मसीह को लटकाया गया होगा। ‘के’ यानी काफ्का। काफ्का यानी विचित्र कथानक और रहस्यमय शब्दों का जादूगर। जो कहता था- हमें ऐसी किताबें पढ़नी चाहिए, जो कुल्हाड़ी की तरह हमारे अंदर के जमे बर्फ के समंदर को चीरती चली जाए, हमें चोट पहुंचाए, हमें भीतर तक घायल कर दे। हम ऐसी किताबें पढ़ें, जिसे पढ़ने के बाद हम बिल्कुल वैसे न रहें जैसे हम किताब पढ़ने से पहले थे।”
शुक्ल का कहना है कि काफ्का न प्राग को कभी भूल पाया और न प्राग उसे कभी भूल पाया। काफ्का प्राग में वैसे ही मशहूर है जैसे क्यूबा में चे-ग्वेरा। चे-ग्वेरा की तरह काफ्का के नाम के प्रतीक चिह्न, टी शर्ट, पोस्टर, बीयर मग आपको वहां हर पर्यटन स्थल पर मिल जाएंगे। दुनिया भर के साहित्यकार प्राग को काफ्का के शहर के नाम से पहचानते हैं। लेखक दयाशंकर अपनी अनुभूति का अहसास कराते हैं, ” साहित्य में दिलचस्पी रखने वाला हर भारतीय पर्यटक प्राग जाकर काफ्का का घर उसके नाम पर बना म्यूजियम एक बार जरूर देखना चाहता है। भारत के सैलानी प्राग में निर्मल वर्मा के बियर में बहके हुए कदमों के पद चिह्नों को भी खोजते हैं। या उस बेंच को ढूंढते हैं जहां लैंपपोस्ट की पीली रोशनी की छाया के नीचे वे अपने नोट्स बनाया करते थे। काफ्का को पढ़ते हुए आप एक यातना को झेलते हैं। मैं प्राग में काफ्का की जिन्दगी से लेकर उसके अंतिम ठिकाने तक को देखना चाहता था।”
महत्वपूर्ण घटनाचक्र
1661: पुर्तगाल ने बॉम्बे को ब्रिटिश शासक चार्ल्स द्वितीय को उपहार में दिया।
1720: स्वीडन और डेनमार्क ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1760: मराठा सेना ने दिल्ली पर अधिकार किया।
1778: प्रशा ने ऑस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की।
1876: मांटनीग्रो ने तुकिये के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
1884: स्टॉक एक्सचेंज डाउ जोंस ने अपना पहला स्टॉक इंडेक्स जारी किया।
1908: ब्रिटिश सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को गिरफ्तार किया।
1947: सोवियत संघ ने मार्शल योजना में भाग लेने से मना कर दिया।
1992ः रियो डि जेनरो (ब्राजील) में पृथ्वी सम्मेलन शुरू।
1999ः कुवैत में 50 सदस्यीय संसदीय चुनाव सम्पन्न।
2000ः लायसेनिया करासे फिजी के अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त।
2004ः रूस की मारिया शारापोवा महिला विम्बलडन चैम्पियन बनीं।
2005ः महेश भूपति और मेरी पियर्स ने विंबलडन टेनिस का मिश्रित युगल खिताब जीता।
2006ः कैरेबियाई द्वीप पर 35 साल बाद भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली बार जीत दर्ज की। स्पेन ने भारत को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद जताई।
2007ः विवादास्पद लेखक सलमान रूश्दी ने अपनी पत्नी पद्म लक्ष्मी से तलाक लेने की घोणा की।
2008ः न्यूयार्क में दलित सम्मेलन शुरू।
2017ः अचल कुमार ज्योति भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त।
2018: मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक गिरफ्तार।
जन्म
1883: महान लेखक फ्रांज काफ्का।
1886ः प्रख्यात दर्शनशास्त्री रामचंद्र दत्तात्रेय रानाडे।
1897ः भारत की प्रसिद्ध समाजसेवी हंसा मेहता।
1941ः मलयालम सिनेमा और भारत के चोटी के फिल्म निर्माता अदूर गोपालकृष्णन।
1951: न्यूजीलैंड के महान तेज गेंदबाज रिचर्ड हैडली।
1952ः प्रख्यात भारतीय-कैनेडियन उपन्यासकार रोहिंटन मिस्त्री।
1971: विकीलीक्स संस्थापक जूलियन असांजे।
1979ः भारतीय निशानेबाज आरती सिंह राव।
निधन
1996: हिन्दी फिल्मों के मशहूर अभिनेता राजकुमार।
2019ः उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और सिक्किम के पूर्व राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल।
2020: मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान।
महत्वपूर्ण दिवस
-अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस।