रांची। झारखंड सरकार ने नियोजन नीति को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। आज मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों के सचिव की एक अहम बैठक हुई। यह बैठक नियोजन नीति को लेकर थी। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने अब तक झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से होने वाली नियुक्तियों के लिए झारखंड से ही 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की शर्त रखी थी। जिसे आज की बैठक में हटाने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही एक अन्य बदलाव क्षेत्रीय भाषा को लेकर की गई है। पूर्व की नियोजन नीति के अनुसार उम्मीदवार का क्षेत्रीय भाषा की जानकारी होना अनिवार्य था। अब इस अनिवार्य योग्यता को भी हटा दिया गया है। ये दो अहम बदलाव हुए है। लेकिन परीक्षा के पैटर्न में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है।
झारखंड हाईकोर्ट ने रद्द की थी नियोजन नीति
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की बनायी नियोजन नीति 2021 को रद्द कर दिया था। दिसंबर माह के पहले सप्ताह में सुनवाई करते हुए तत्कालीन मुख्य न्यायधीश डॉ रविरंजन एवं सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुनाया था। इस संबंध में उम्मीदवारों की ओर से पक्ष रख रहे पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस नियोजन नीति के तहत जितनी भी नियुक्तियां हुई हैं, वे स्वत: रद्द हो जाती हैं। बताते चलें कि रमेश हांसदा एवं अन्य ने झारखंड सरकार की ओर से नियोजन नीति में किए गए संसोधन को गलत बताते हुए याचिका दायर की गई थी।
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इन्होंने दायर की थी याचिका
हाईकोर्ट की ओर से आज जिस याचिका की सुनवाई करते हुए आदेश दिया है। हाईकोर्ट में प्रार्थी रमेश हांसदा, अभिषेक कुमार दुबे, विकास कुमार चौबे, रश्मि कुमारी व अन्य की ओर से अलग-अलग याचिका दायर कर जेएसएससी नियमावली को चुनौती दी थी। जिसमें प्रार्थियों ने नियमावली को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त करने की मांग की थी।
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