बलरामपुर, अनिल गुप्ता: जिले में प्रशासन की मौन सहमति से NGT लागू होने के वावजूद भी रिजर्व फारेस्ट एरिया से रेत का अवैध उत्खनन कर भंडारण किया जा रहा है. रेत माफिया के गुर्गे ग्रामीणों को धमकी भी देते है, जिससे ग्रामीण डरे हुए है. वहीं खनिज विभाग के अधिकारी विभाग में वाहन की व्यवस्था नहीं होने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे है.
प्रशासन की मौन सहमति से NGT के वावजूद भी रेत का उत्खनन
आपको बता दे कि छत्तीसगढ़ में इन दिनों NGT लागू है और इस समय नदियों से रेत का उत्खनन पूर्वणतः वर्जित है ताकि जलीय जीवजंतुयो को कोई नुकसान न पहुंच सके, लेकिन बलरामपुर जिले में वाड्रफनगर विकासखंड के तोरफ़ा गांव से बहने वाली मोरन नदी जो कि सूरजपुर और बलरामपुर की सीमा को तय करती है और यह क्षेत्र रिजर्व फारेस्ट के अंतर्गत आता है जहां पर कानून के मुताबिक एक पत्ता भी तोड़ना अपराध की श्रेणी में आता है. बावजूद इसके जिले के फारेस्ट, पुलिस और जिला प्रशासन की मौन सहमति से रेत माफिया इन दिनों नदी से ट्रैक्टर के माध्यम से रेत का अवैध उत्खनन करवा कर गांव में ही उसका भंडारण करवा रहा है.
ग्रामीणों को जान से मारने की दी जाती है धमकी
लेकिन गांव के ग्रामीण जब रेत उत्खनन का विरोध करते है तो रेत माफिया के गुर्गों द्वारा जान से मारने की धमकी भी दी जाती है जिससे ग्रामीण भी डरे हुए है. गांव के सरपंच ने बताया है कि रेत माफिया प्रशासन की सहमति पर मनमानी कर रहा है और सभी नियमों को ताक पर रखते हुए रेत का अवैध भंडारण कर रहा है लेकिन उसपर अभी तक कोई कार्नरवाई नही हो सकी है. पुलिस मौके पर आने के बाद रेत माफिया का ही पक्ष लेती है.
ग्रामीण सड़क टूटने की कगार पर, साथ ही राजस्व की भी चोरी
ग्रामीणों ने बताया कि रेत परिवहन से गांव की सड़क भी टूट रही है. जिससे गांव तक एम्बुलेंस भी पहुचने में दिक्कत होगी और इसके साथ ही शासन के राजस्व की चोरी भी हो रही है. रेत माफिया द्वारा फ़िलहाल अवैध तरीक़े से गांव में रेत का भंडारण करवाया जा रहा है और आने वाले कुछ दिनों बाद रेत को अवैध तरीके से उत्तरप्रदेश में बेचा जाएगा.
राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है रेत माफिया को
जिला प्रशासन पूरे मामले में तमाशबीन बना रहेगा क्योंकि रेत माफिया को कही न कही राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और यही वजह है कि अधिकारी भी उसके गलत काम को रोकने में हस्तक्षेप नही कर रहे है. मामले की जानकारी फोरेस्ट विभाग के साथ साथ पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन को भी है लेकिन अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की गई जिससे ग्रामीणों में नाराजगी भी देखने को मिल रही है.
खनिज विभाग का गैरजिम्मेदाराना जवाब
वहीं जब इस मामले में खनिज इंस्पेक्टर से बात की गई तो उनके द्वारा कह दिया गया कि हमारे विभाग में फिलहाल कोई शाशकीय वाहन ही नही है इसलिए हम कार्यवाही करने नही जा पर रहे है और जब वाहन उपलब्ध होगा तब जायेंगे. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते है कि जिले का खनिज विभाग अपने कर्तव्यों के प्रति कितना लापरवाह हो सकता है.