नई दिल्ली। डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी सबसे बड़ी बीमारियों में से एक है। लाइफस्टाइल में सुधार डायबिटीज के खतरे को 75% तक घटा सकता है, लेकिन कुछ बहाने हमारे पास हमेशा रहते हैं जो अच्छी सेहत में बाधा बनते हैं। आज वर्ल्ड डायबिटीज डे पर टोटल डायबिटीज हॉर्मोन इंस्टीट्यूट, इंदौर के मधुमेह एवं हॉर्मोन विशेषज्ञ डॉ. सुनील एम जैन और इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रिचा चतुर्वेदी से जानिए ये बहाने क्या हैं, हम इन्हें कैसे दूर कर सकते हैं और कैसे डायबिटीज पूरे शरीर काे प्रभावित करती है।
पहला बहाना: मैं हेल्दी हूं, लाइफस्टाइल क्यों बदलूं?
यह सबसे आसान बहाना है। ऐसे लोग जिनका वजन सामान्य है, जिन्हें कोई तकलीफ नहीं है, न ही कोई बीमारी है, वो सोचते हैं कि स्वस्थ जीवनशैली की क्या जरूरत है। 75 हजार लोगों पर हुई एक बड़ी रिसर्च के अनुसार शरीर में कम फैट के बावजूद टाइप-2 डायबिटीज और हार्ट डिजीज का जोखिम हो सकता है। ऐसे कई लोग हैं जिनमें वजन ज्यादा नहीं होने के बावजूद पेट में मोटापा और फैटी लिवर की समस्या है। इसलिए समय पर स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इनसे बचा जा सकता है।
दूसरा बहाना: मेरे पास समय नहीं है, इसलिए रोजाना एक्सरसाइज करने नहीं जा सकता
मेरे पास पर्याप्त समय नहीं है। यह सबसे आम फिटनेस बहाना है। लेकिन जब कोई यह कहता है कि मेरे पास समय नहीं है, तो असल में उसका मतलब होता है- “मेरे पास इस काम के लिए समय नहीं है।” फैक्ट यह है कि रोज 30 मिनट का वर्कआउट दिन के समय का लगभग 2% ही है। रोज 20 मिनट सामान्य वॉक और 10 मिनट ब्रिस्क वॉक करते हैं तो इम्यून सिस्टम तो बेहतर बनता ही है, आप अतिरिक्त कैलोरी भी बर्न कर पाते हैं और हार्ट भी हेल्दी बनता है।
तीसरा बहाना: लेट सोता हूं, सुबह वॉक पर कैसे जाऊं?
हमारा वर्क प्लेस ऐसी जगह है, जहां हम कई घंटों तक बैठे रहते हैं और नतीजा यह होता है कि सैकड़ों कैलोरी बर्न करने का मौका खो देते हैं। पर वर्क प्लेस पर भी एक छोटा उपाय किया जा सकता है। दरअसल, खड़े रहने की आदत से शरीर पर बैठने की तुलना में ज्यादा स्ट्रेस आता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि खड़े रहने से बैठने की तुलना में 50% ज्यादा कैलोरी बर्न होती है, इसलिए 75 किलो का व्यक्ति अपने पैरों पर खड़े होने से एक घंटे में अतिरिक्त 50 कैलोरी बर्न कर सकता है।
चौथा बहाना: मुझे जल्दी ऑफिस जाना होता है, ब्रेकफास्ट का समय ही नहीं मिलता
ऑफिस जाने की जल्दी में कई बार आप नाश्ता नहीं कर पाते। नाश्ता ‘दिन का सबसे महत्वपूर्ण भोजन’ होता है। ब्रेकफास्ट नाम से ही जाहिर होता है- रातभर के लंबे उपवास को तोड़ना। इसलिए हेल्दी लाइफस्टाइल में ब्रेकफास्ट जरूरी है। समय की कमी से ब्रेकफास्ट नहीं कर पा रहे हैं तो फल खा सकते हैं। पपीता, चीकू, जामुन और कीवी हेल्थ के लिए अच्छे हैं। इनमें फाइबर, विटामिन और खनिज होते हैं।
पांचवां बहाना: स्मोकिंग- शराब तनाव दूर करते हैं
काम के दौरान तनाव सभी को होता है। पर स्मोकिंग और अल्कोहल इसे दूर करने का अच्छा उपाय नहीं है। दरअसल जब आप तनाव में होते हैं तो आपकी सांसें तेज हो सकती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट बढ़ जाती है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिपोर्ट के अनुसार काम के दौरान तनाव दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है गहरी सांसें लेना। ऐसी सांसें जिनसे आपका पेट भी हरकत करता हुआ महसूस करे। कुर्सी पर बैठकर पांच मिनट गहरी सांसें लेंगे तो तनाव दूर होगा और ऊर्जा का स्तर बढ़ेगा।
डायबिटीज का पूरे शरीर पर असर
डायबिटीज का आपके शरीर के हर अंग पर असर होता है। यह इम्यून सिस्टम प्रभावित करती है और इससे बैक्टिरियल और फंगल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ओबेसिटी इंटरनेशनल के कंट्री हेड हिमांशु अरोड़ा के मुताबिक, भारत डायबिटीज की गंभीर महामारी से गुजर रहा है और कोविड के कारण डायबिटीज के मामलों में बढ़ाेतरी हुई है, विशेष रूप से कम आयु के समूहों में।
जानिए, कैसे शरीर के अंगों और काम पर डायबिटीज असर करती है-
ब्रेन: स्ट्रोक का रिस्क 4 गुना
डायबिटीज स्ट्रोक का खतरा चार गुना बढ़ा देती है। इससे सीखने की क्षमता और याददाश्त भी कमजाेर होती है। हॉर्मोनल बदलावों से वजन बढ़ने लगता है। अल्जाइमर का खतरा भी बढ़ता है।
हार्ट: डिजीज का खतरा दोगुना
डायबिटीज से ब्लड वेसल्स डैमेज हो सकती हैं। हार्ट पर दबाव बढ़ता है। हार्ट डिजीज का खतरा दोगुना हो जाता है। टाइप-1 डायबिटीज के रोगियों में 65% की मौत हार्ट डिजीज से होती है।
आंख: मोतियाबिंद का खतरा
डायबिटीज से आंखों की ब्लड वेसल्स डैमेज हो सकती हैं। अगर समय पर शुगर को नियंत्रित न किया जाए तो देखने की क्षमता खत्म हो सकती है। इससे मोतियाबिंद का खतरा बढ़ता है।
किडनी: अतिरिक्त दबाव
पैनक्रियाज व किडनी की क्षमता प्रभावित होती है। यूरिनेशन बढ़ जाता है, डिहाइड्रेशन और जल्दी थकावट हो सकती है। अतिरिक्त शुगर बाहर करने के लिए किडनी को बहुत काम करना पड़ता है।
स्किन: रंग पर असर
डायबिटीज से सबसे पहले स्किन की समस्या होती है। ऑनलाइन डर्मेटोलॉजी प्लेटफाॅर्म स्किनमाइंड की प्रमुख डॉ. रुचि गुप्ता के अनुसार गर्दन के आसपास स्किन काली और भूरी होने लगती है।
ओबेसिटी: पाचन बिगड़ता है
मेटवेट मुंबई में ओबेसिटी व मेटाबॉलिक डिजीज विशेषज्ञ डॉ स्मिता नाम्बिया बताती हैं- डायबिटीज इम्यून सिस्टम कमजोर करती है। इससे इन्फेक्शन से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है।