नई दिल्ली। वॉट्सऐप (WhatsApp) के फैमिली ग्रुप का मैसेज हो या फिर जोमैटो से कोई ऑफर। फोन पर सोशल मीडिया या दूसरे ऐप्स के नोटिफिकेशन्स हर कुछ मिनट में आपका ध्यान भटकाते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि फोन साइलेंट मोड पर हो या न हो, आप अपने काम से डिस्ट्रैक्ट हो ही जाते हैं। आइए जानते हैं ऐसा क्यों होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है…
व्यक्ति हर 15 मिनट में फोन देखता है
एक अनुमान के मुताबिक, हम एक दिन में औसतन 85 बार अपना फोन चेक करते हैं। इसका मतलब हर 15 मिनट में एक बार। यानी हर 15 मिनट में हमारा दिमाग काम से हटकर फोन में लग जाता है। ध्यान तो आसानी से भटक जाता है, लेकिन उसे वापस पाना काफी मुश्किल होता है। अगर हम टीवी देख रहे हैं तब तो ठीक है, पर पढ़ाई, काम और परिवार के साथ वक्त बिताने के दौरान ऐसा होना सही नहीं है।
दो तरह से ध्यान भटकता है
ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी की सीनियर लेक्चरर शैरन होरवुड कहती हैं- फोन में बार-बार बजने वाली घंटी दो तरह से हमारा ध्यान भटकाती है। पहले को एक्सोजेनस इंटरप्शन कहते हैं और दूसरे को एंडोजेनस इंटरप्शन।
एक्सोजेनस इंटरप्शन तब होता है जब फोन पर कोई नोटिफिकेशन आता है। इससे हम एक्साइटेड हो जाते हैं। यह उत्सुकता और खुशी वैसी ही होती है जैसी लोगों को जुआ खेलते समय होती है। इससे उन्हें उस चीज की लत लग जाती है।
एंडोजेनस इंटरप्शन में आपको अंदर से फोन चेक करने की इच्छा होती है। यानी नोटिफिकेशन न आने पर भी आपका ध्यान काम से हटकर फोन पर जाता है। इससे फिजूल में ही आप डिस्ट्रैक्ट होते हैं।
फोन चेक करने से तनाव बढ़ रहा
प्रोफेसर होरवुड का कहना है कि बार-बार फोन चेक करने से लोगों में स्ट्रेस बढ़ रहा है। नोटिफिकेशन पर प्रतिक्रिया न देने से लोग विचलित हो जाते हैं। उनका ध्यान काम में नहीं लगता। उनमें प्रोडक्टिविटी और फोकस की कमी हो जाती है। एक बार डिस्ट्रैक्ट होने के बाद काम पर वापस ध्यान नहीं लगता, तो मन में गिल्ट और फ्रस्ट्रेशन भर जाता है।
बार-बार फोन चेक करने से कैसे बचें?
* जिन ऐप्स के नोटिफिकेशन्स काम के नहीं हैं, उन्हें बंद कर दें।
* रात में फोन को दूसरे कमरे में रखें। इससे आपकी नींद खराब नहीं होगी।
* फोन चेक करने की इच्छा से लड़ें। खुद से पूछें कि ऐप्स खोलना जरूरी है या नहीं।
फोन चलाने को रिवॉर्ड समझें। कम से कम 25 मिनट काम में ध्यान लगाएं और फिर ब्रेक लेकर फोन चेक करें।