प्रयागराज। वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने गुरुवार को सुनवाई पूरी कर ली। करीब पौने पांच बजे सुनवाई पूरी होने पर उन्होंने कहा कि तीन अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा। तब तक सर्वे पर रोक लगी रहेगी। इससे पहले मंदिर व मस्जिद पक्ष ने जमकर बहस की। विधिक तथ्यों संग ऐतिहासिक तथ्य रखे गए।
ASI और राज्य सरकार ने रखा अपना पक्ष
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण व राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखा। मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि मंदिर शिखर को गुंबद से और ज्योतिलिंग को नए निर्माण से ढांका गया है। 16 मई 2022 को एडवोकेट कमिश्नर ने सर्वे किया। कई तथ्य सामने आये। पिलर पर स्वास्तिक है, हिंदू मंदिर के चिह्न मिले हैं। उन्होंने कहा कि एएसआइ के पास इंस्ट्रूमेंट है,जांच कर सकती है। विशेषज्ञ इंजीनियर इनके पास है। राम मंदिर केस में ऐसा किया गया। मस्जिद पक्ष ने यह बात दोहराई कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 में वाद पोषणीय नहीं। परिवर्तन प्रतिबंधित है।
अंजुमन इंतेजामिया के वकील ने क्या कहा?
अंजुमन इंतेजामिया वाराणसी की तरफ से मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा कि धार्मिक स्थलों की 15 अगस्त 47 की स्थिति में बदलाव पर रोक है। एक्ट की धारा तीन के तहत कोई व्यक्ति पूजा स्थल की प्रकृति में बदलाव नहीं कर सकेगा। 2021 में दायर वाद इस एक्ट (प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट) से बार है, पोषणीय नहीं है। खारिज होने योग्य है। 1947 से भवन की यही स्थिति है, जिसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। साक्ष्य इकट्ठा करने की कोशिश है एएसआई जांच की मांग।
थर्ड पार्टी साक्ष्य इकट्ठा करने की मांग कर रही वाद दाखिल कर। अर्जी में खुदाई की मांग है और अदालत के आदेश में भी खुदाई का जिक्र है। कोर्ट साक्ष्य नहीं इकट्ठा कर सकती। वादी को साक्ष्य पेश करने होंगे। इससे पूर्व वादिनी (राखी सिंह व अन्य) के वकील प्रभाष त्रिपाठी ने कहा कि फोटोग्राफ हैं, जिससे साफ है कि मंदिर है। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा है वादी को श्रृंगार गौरी, हनुमान,ग णेश की पूजा दर्शन का विधिक अधिकार है।