हजारीबाग : झारखंड राज्य बार कौंसिल की ओर से लिए गए निर्णय के अनुसार हजारीबाग जिले के वकील शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. इस फैसले के बाद शुक्रवार को किसी भी वकील ने किसी भी न्यायिक कार्य में हिस्सा नहीं लिया. इस कारण पूरे कोर्ट परिसर में सन्नाटा छाया रहा. अधिवक्ताओं की मांग है कि झारखंड राज्य सरकार ने कोर्ट फीस में जो बेतहाशा वृद्धि की है, उसे वह जल्द वापस ले. वहीं अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट को जल्द से जल्द लागू करे और पीपी व एपीपी की बहाली में बार संघ से अधिवक्ताओं की नियुक्ति सुनिश्चित करे.
इस दौरान हजारीबाग बार संघ की बैठक अध्यक्ष राजकुमार की अध्यक्षता में हुई. इसमें कई अधिवक्ताओं ने अपने-अपने ढंग से राज्य सरकार की नीतियों का विरोध किया और इस अनिश्चितकालीन हड़ताल को अपना-अपना समर्थन दिया. इस दौरान अधिवक्ताओं में गौतम चक्रवर्ती, विजय सिंह, मृत्युंजय उपाध्याय, प्रदीप कुमार, जवाहर प्रसाद स्वरूप चंद जैन, प्रणव झा, रमेश सिंह, अमित कुमार, ओशिता रंजन, प्रमोद सिंह, मनोज कुमार, कौलेश्वर प्रसाद कुशवाहा, कुणाल कुमार आदि ने अपने-अपने विचार रखे और हड़ताल का समर्थन किया. इस दौरान झारखंड राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन के इस बयान पर कि सरकारी अधिवक्ता हड़ताल में भी कार्य करते रहेंगे का घोर विरोध किया और उनके इस बयान की निंदा की.
बैठक के अंत में अध्यक्षीय भाषण देते हुए बार संघ अध्यक्ष राजकुमार ने कहा कि यदि सरकार कोर्ट फीस वृद्धि में कमी नहीं करती है, तो संपत्ति के विवाद जहां के तहां रह जाएंगे. ऐसे में उनका निपटारा नहीं हो सकेगा और भू-माफिया उनकी जमीनों को हड़प लेंगे. वहीं उन्होंने अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट के लागू नहीं किए जाने के कारण अधिवक्ताओं में जो असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है, उसके बारे में भी चर्चा की. साथ ही उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया में विलंब होने का मुख्य कारण पीपी व एपीपी में बार संघ से अधिवक्ताओं की बहाली नहीं लिए जाने को बताया.
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