हजारीबाग। नववर्ष 2025, नया संकल्प, नई शपथ, कुछ अच्छा करने की तमन्ना, बुराइयों को त्यागने की कामना…। कुछ ऐसा ही मामला प्रकाश में आया पेंशनर मुन्ना देवी के मामले में। संक्षिप्त में मुन्ना देवी की पटकथा यह है कि उनके पति स्व.नन्दकिशोर प्रसाद नरैना स्कूल, चलकुशा, बरकट्ठा प्रखंड हजारीबाग में शिक्षक थे। उनकी पत्नी मुन्ना देवी को पेंशन मिलना था। लेकिन बिल पास नहीं किया जा रहा था। इस पर उन्होंने उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल हजारीबाग के क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक सुमनलता टोपनो बलिहार को आवेदन देकर गुहार लगाई थी।
उसमें कहा गया था कि 18 दिसंबर 2024 को मेरी पेंशन इत्यादि का कार्य शिक्षा सचिव के दखल पर जिला शिक्षा अधीक्षक ने कर दिया। 23 अक्तूबर 2024 को हाईकोर्ट के डबल बेंच ने मेरे पक्ष में निर्णय पारित किया था, फिर भी दो माह से मामला लटका हुआ था। मेरे पति की मृत्यु 14 फरवरी 2022 में ही हुई थी। वे शिक्षक पद पर कार्य कर रहे थे।
पिछली बार मेरी पेंशन का काम पूर्व डीएसई संतोष गुप्ता ने कर दिया था, पर यही मैसेंजर तालेश्वर जी (शिक्षक, बरकट्ठा) मेरे काम को इतना देर कर दिए कि मेरा काम नहीं हो पाया था। जबकि वे मुझसे 2000 रुपए भी लिए थे। फिर कहीं लेट करेंगे, पैसा मांगेंगे तो मेरे पास पैसा है ही नहीं। अतः प्रार्थना है कि मेरा काम डीडीओ और मैसेंजर से करवाने की कृपा करें।
वर्तमान स्थिति में उनकी पेंशन का भुगतान हो गया। इस बीच यह सूचना आयी कि काम के एवज में पहले लिए गए 2000 रुपए और 5000 रुपए विभिन्न स्रोतों के माध्यम से येन-केन-प्रकारेण पेंशनर को लौटा दिए गए। अगर नववर्ष में एक साल पहले लिए गए पैसे वापस कर दिए जा रहे हैं, तो इससे बेहतर संकल्प और क्या हो सकता है कि हम सन्मार्ग की राह अपना रहे हैं। अपना मानसिक परिवर्तन कर ईमान की राह पकड़ रहे हैं। ऐसे में यह पंक्ति सर्वथा चरितार्थ हो रहा है कि सबको सन्मति दे भगवान….। साथ ही यह सवाल उठना भी लाजिमी है कि जब लिए नहीं, तो आखिर क्यों लौटाए 7000 रुपए ?
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