गढ़वा: गढ़वा में अब तक 4 लोगों की जान लेने वाले तेंदुए को आदमखोर घोषित कर दिया गया है। वन विभाग की टीम ने कई दौर की बैठक के बाद यह फैसला लिया है। गढ़वा का जंगली इलाका पलामू, छत्तीसगढ़, लातेहार से सटा हुआ क्षेत्र है।फिलहाल तेंदुए को पकड़ने की कोशिश की जाएगी। अगर वो आसानी से टीम की पकड़ में नहीं आएगा तो उसका एनकाउंटर किया जाएगा। हैदराबाद से मशहूर ट्रैंकुलाइज शूटर नवाब शफत अली खान को बुलाया गया है। अब तेंदुए को शूटर की मदद से ट्रैंकुलाइज किया जाएगा। इसके बाद उसे बेहोशी की हालत में ही रेस्क्यू सेंटर लाया जाएगा। विभाग अंतिम विकल्प के तौर पर उसे मारने का निर्णय लेगा।
अब तक नहीं हुई है पहचान
पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 100 से ज्यादा तेंदुए हैां। गढ़वा के रंका, रमकंडा, भंडरिया,चिनिया इलाके में तेंदुए का सबसे ज्यादा खौफ है। अब तक वन विभाग उस तेंदुए की पहचान में असफल रहा है जो आदमखोर है। इलाके में एक नहीं तीन- तीन तेंदुओं के निशाना मिले हैं। ऐसे में वन विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती है कि पहले तेंदुए की पहचान की जाए।
पकड़ने की सारी कोशिश फेल
एक महीने में गढ़वा और लातेहार में 4 बच्चों की जान ले चुका तेंदुए पूरे इलाके के लिए बड़ा खतरा है। गढ़वा जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी शशि कुमार, रंका प्रक्षेत्र के गोपाल चंद्रा और विभाग के रमाशंकर प्रसाद और राजीव पांडेय टीम के साथ तेंदुए को पकड़ने में लगे हैं। अब तक विभाग को सफलता नहीं मिली है। तेंदुआ बार- बार अपना लोकेशन बदल रहा है।
50 कैमरों से रखी जा रही है नजर
कोमंगराही गांव में पिंजरे और ट्रैपिंग कैमरे लगाए गए थे। इसी बीच एक पेंच फंस गया। विभाग का मानना था कि एक ही तेंदुआ अलग-अलग जगह बच्चों पर हमला कर रहा है। पर, अब ड्रोन कैमरे में एक साथ तीन तेंदुए दिखे। 50 कैमरों से इलाके की निगरानी की जा रही है। अब इन तीनों में कौन सा तेंदुआ आमदखोर है, उसकी पहचान करना विभाग के लिए चुनौती बन गया है।
गन तो है चलाने वाला एक्सपर्ट नहीं
तेंदुए को बेहोश करने के लिए वन विभाग के पास ट्रैंकुलाइजर गन तो है, लेकिन उसे चलाने के लिए झारखंड में कोई एक्सपर्ट नहीं है। कितनी मात्रा में दवा दी जाती है, गन का निशाना क्या होना चाहिए इसे लेकर भी जानकारी होनी चाहिए।
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