हजारीबाग, अमरनाथ पाठक। गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय मुकुंदगंज, हजारीबाग में आयोजित दो दिवसीय नेशनल समारोह का समापन शनिवार को राष्ट्रगान के साथ हो गया। दो दिनों के मैराथन चिंतन और वक्तव्यों के मंथन से देश के कई विद्वतजनों ने निष्कर्ष निकाला कि भारतीय परंपरा के संवर्द्धन में उच्च शिक्षा संस्थानों की अहम भूमिका है। हाइयर एजुकेशन के पाठ्यक्रमों में नई विचारधाराएं और पौराणिक ज्ञान पद्धति की ओर लौटने पर शोध जरूरी है। समापन समारोह के मुख्य अतिथि विभावि के सेवानिवृत्त रजिस्ट्रार और बॉटनी के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. इनाम नबी सिद्दिकी ने कहा कि पाठ्यक्रमों में अतिप्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को समाहित करने जरूरत है।
उन्होंने पावर प्रेजेंटेशन के माध्यम से इंडियन नॉलेज सिस्टम की रूप-रेखा का विस्तार से वर्णन किया। साथ ही बताया कि अंग्रेजियत की गुलामी मानसिकता से खुद को आजाद कर भारत की मूल भाषा संस्कृत की ओर मुखातिब होना होगा। गुजरे जमाने में समृद्ध भारत की अतिप्राचीन संस्कृत समेत अन्य देशज भाषा, ज्ञान और पद्धति की ओर लौटना होगा। उन्होंने इसे स्कूल की प्रारंभिक पढ़ाई से लेकर यूनिवर्सिटी तक के अध्ययन में लाने पर जोर दिया। उन्होंने पद्मश्री सुभाष पालेकर के जीरो बजट फार्मिंग, स्वामी विवेकानंद, कवि मैथिलीशरण गुप्त, अलबिरुनी, डॉ मो. इकबाल समेत कई मनीषियों के उदाहरण भी प्रस्तुत किए।
प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को पुन: प्राप्त करना बड़ी चुनौती : प्रोफेसर डॉ योगेंद्र पांडेय
आक्यूएसी की ओर से आयोजित नेशनल सेमिनार के टेक्नीकल सेशन में बीएचयू फैकल्टी ऑफ एजुकेशन के प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र पांडेय ने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा काफी समृद्ध रही है। इसे फिर से प्राप्त करना ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उद्देश्य है। यह बड़ी चुनौती है। हमें गुरुकुल शिक्षा पद्धति को अपनाना होगा, जो कालांतर से हम भूलते चले जा रहे हैं। पाश्चात्य की ज्ञान अवधारणा कभी स्पष्ट नहीं रही है। चूंकि वह उपभोग आधारित शिक्षा रही है। भारतीय ज्ञान परंपरा त्याग आधारित शिक्षा है। ज्ञान के सृजन के लिए अंग्रेजी और दूसरों का अनुकरण छोड़ खुद की कल्पना को साकार करना होगा और संस्कृत भाषा की ओर लौटना होगा। एनईपी-2020 का उद्देश्य विद्यार्थियों को वैश्विक नागरिक बनाना है, लेकिन इसे सार्थक करना बड़ी चुनौती भी है।
भारत को पुन: विश्वगुरु बनने में उच्च शिक्षा संस्थानों को निभानी होगी बड़ी भूमिका : डॉ रुखैयार
विनोबाभावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ बंशीधर प्रसाद रूखैयार ने कहा कि दुनिया का पहला विश्वविद्यालय तक्षशीला जो भारत में था। भारत ने सदियों पहले विश्व को हर क्षेत्र में ज्ञान दिया। लेकिन विदेशी शासकों ने उस ज्ञान को खत्म कर दिया। हमें उस खोए हुए ज्ञान को प्राप्त कर पुन: विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर होना होगा। इसमें उच्च शिक्षा संस्थानों को अग्रणी भूमिका निभाने की जरूरत है। उन्होंने भारतीय इतिहास के कई अनछुए पहलुओं को अपने वक्तव्यों में समाहित किया। साथ ही कहा कि एनईपी-2020 को जमीनी अमलीजामा पहनाने में हर भारतीय को सहयोग करने की जरूरत है। पूरी दुनिया को भारत की उस अतीत परंपरा से अवगत कराना होगा। उन्होंने गुरु-शिष्य के पौराणिक संबंधों को भी वर्तमान में फलीभूत करने पर बल दिया।
भारत के गौरव ज्ञान को पूरी विश्वसनीयता के साथ संपूर्ण विश्व में बिखेरना होगा : डॉ. मृत्युंजय प्रसाद
विभावि डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन के डॉ. मृत्युंजय प्रसाद ने कहा कि भारत की अतिप्राचीन परंपरा और उसमें समाहित ज्ञान-विज्ञान के प्रति फैलाई गई भ्रांतियों को खत्म करना होगा। वेद-पुराण धार्मिक ग्रंथ नहीं विज्ञान है। इसे समझना और दुनिया को भी समझाना होगा। अंग्रेजों की ओर से कुंठित कर दी गई मानसिकता को बदल भारत के गौरव ज्ञान को पूरी विश्वसनीयता के साथ संपूर्ण विश्व में बिखेरना होगा। संस्कृत में विज्ञान की भाषा समाहित है, इसे स्वीकार करना होगा। खत्म हो चुकी भारतीय प्राचीन परंपरा की चेतना को जागृत कर उसे भावी पीढ़ी के ज्ञान में समाहित करना होगा। इसमें शिक्षण संस्थानों को भी अपनी भूमिका तलाशनी होगा, तभी भारत एक बार फिर जगत गुरु बन सकता है।
ज्ञान से ही ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है : मनोज कुमार
अतिथि परिचय और विषय प्रवेश कराते हुए गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि ज्ञान से ही ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है। ऐसे में भारतीय ज्ञान परंपरा के संवर्द्धन में शिक्षण संस्थानों और शिक्षकों को बेहतर भूमिका निभाने की जरूरत है।
अतिथियों को किया गया सम्मानित
कॉलेज के विवेकानंद सभागार में जेएनयू के स्कूल ऑफ संस्कृत और इंडिक स्टडीज के डीन प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार शुक्ल की अध्यक्षता में आयोजित दूसरे दिन के सेमिनार में मंचासीन अतिथियों को कॉलेज प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष मनोज कुमार, सचिव मिथिलेश मिश्र, प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार यादव, मंच संचालिका सह आईक्यूएसी की समन्वयक डॉ बसुंधरा कुमारी, कुमारी अंजलि, सहायक प्राध्यापिका डॉ पुष्पा कुमारी, डॉ दीपमाला, रचना कुमारी आदि ने शॉल व मोमेंटो भेंट कर सम्मानित किया।
इससे पहले अतिथियों ने भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। सेमिनार में उज्ज्वल भारत ट्रस्ट के उपाध्यक्ष अजय सिंह, मार्खम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्राध्यापक डॉ गजेंद्र सिंह, रिटायर्ड एडीएम जामुनीकांत, राजकीय बालिका उच्च विद्यालय के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक डॉ. राम इकबाल यादव, वरिष्ठ पत्रकार डॉ पी. मिश्र, आईबीसीएन के कार्यकर्ता डॉ मुरारी सिंह समेत कॉलेज के सभी सहायक प्राध्यापक और प्रशिक्षु मौजूद थे।
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