रांची : राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान ( रिम्स) में एक जिंदा मरीज को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया परिजनों का दावा है कि डॉक्टरों के मृत घोषित करने के 7.25 घंटे तक वह मौत से लड़ती रही। परिजनों ने कहा, सांसें चल रही थी लेकिन डॉक्टर ने कहा यह मर चुकी है।
मृत घोषित किया फिर माना कि जिंदा है फिर कर दिया मृत घोषित
रिम्स से पहले भी लापरवाही और अव्यवस्था की खबरें आती रही है। रिम्स में परिजनों ने हंगामा किया और रिम्स प्रबंधन में सवाल खड़े किए। मरीज के पति दिनेश साव ने कहा, सुबह में मरीज को स्थिर बताया और थोड़ी ही देर में मृत बताकर डेड बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दे दिया गया। हमने देखा तो उसकी सांसे चल रही थी, डॉक्टरों ने कहा जिंदा है हम इलाज कर रहे हैं, शाम को डॉक्टरों ने कहा उनकी धड़कन चल रही है लेकिन फिर दोबारा मृत घोषित कर दिया।
पथरी की समस्या को लेकर कराया गया था भर्ती
हजारीबाग के सिरका के 36 वर्षीया अंशु देवी को इलाज के लिए सर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया था। महिला को पित्त की थैली में पथरी हो गयी थी। महिला आईसीयू में वेंटिलेटर पर थी। डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार महिला को हार्ट से जुड़ी समस्या थी। लगभग 9.15 मीटन पर उसे मृत घोषित कर कैरिंग सर्टिफिकेट दे दिया गया। परिजनों ने जब देखा कि उसकी सांसें अभी भी चल रही है, डॉक्टरों ने भी माना की सांसें चल रही है, इसके बाद 7.25 घंटे तक मरीज भर्ती रही। शाम 4.30 बजे उसे दोबारा मृत घोषित कर दिया गया। बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट में समय को बदल दिया गया।
परिजनों का आरोप नहीं मिला बेहतर इलाज
परिजनों ने आरोप लगाया कि रिम्स में बेहतर इलाज नहीं हुआ। अगर उसका बेहतर इलाज होता तो आज वो हमारे साथ होती। उसे 7 घंटे पहले ही मृत घोषित कर दिया जबकि वह जिंदा थी। इन सात घंटों में वह मौत से लड़ती रही लेकिन डॉक्टरों ने उसका इलाज नहीं किया पहली बार मृत घोषित के बाद भी 7.25 घंटे मरीज बेड पर रहीं। इस दौरान न तो जांच हुई और न ही दवाइयां चलीं, उसका ईसीजी और इको भी नहीं किया गया। रिम्स के पीआरओ का कहना है कि डॉक्टर ने मरीज को देखकर मौखिक रूप से मृत होने की सूचना दे दी थी। लेकिन ईसीजी जांच करने के बाद शाम को मृत होने की घोषणा की गई। तब बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दिया गया।