हजारीबाग। भाजपा नेता डॉ. अमित सिन्हा का मानना है कि देश का सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चला जाए। उनका यह विचार केवल शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके कार्यों और नीतियों में साफ झलकता है। कहते हैं कि भारत जैसे विविधता से भरे देश में विकास का अर्थ केवल आर्थिक प्रगति नहीं है, बल्कि समाज के सभी वर्गों का समान रूप से सशक्तिकरण और उन्नति भी है।
डॉ. अमित सिन्हा ने कहा है कि विकास का सही अर्थ तभी सार्थक होगा, जब समाज के सबसे कमजोर और वंचित तबकों तक उसकी किरणें पहुंचें। यह विचार उनकी राजनीति की आधारशिला है। वे मानते हैं कि यदि किसी देश का एक भी वर्ग पीछे छूट जाता है, तो वह देश पूरी तरह से विकसित नहीं हो सकता। इसलिए, उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा से इस बात पर जोर दिया है कि हर वर्ग को विकास की मुख्यधारा में शामिल किया जाए।
साथ ही साथ समाज में आर्थिक विषमता और सामाजिक भेदभाव को समाप्त किए बिना समावेशी विकास संभव नहीं है। देश का विकास तभी संतुलित होगा जब हर नागरिक को समान अवसर मिलेगा और कोई भी वर्ग पीछे नहीं छूटेगा।
डॉ. अमित सिन्हा ने विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं के सशक्तिकरण की बात पर जोर दिया है। उनका मानना है कि महिलाओं का सशक्तिकरण केवल एक नारीवादी विचारधारा का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह देश की प्रगति का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा है कि जब तक समाज में महिलाओं को समान अवसर नहीं मिलेंगे और वे आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से सशक्त नहीं होंगी, तब तक देश की प्रगति अधूरी रहेगी।
इसके साथ ही, वे युवाओं को देश का भविष्य मानते हैं और उनके सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाओं और कार्यक्रमों का समर्थन करते हैं। वे कहते हैं कि युवा शक्ति को सही दिशा में मार्गदर्शन और अवसर प्रदान करना ही देश की सशक्तिकरण की कुंजी है। उनका मानना है कि यदि युवा अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित होते हैं और उन्हें सही अवसर मिलते हैं, तो वे न केवल अपने परिवार और समाज के लिए बल्कि पूरे देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
डॉ. सिन्हा ने यह भी कहा है कि एक स्वस्थ और शिक्षित समाज ही किसी देश की सबसे बड़ी ताकत होती है। शिक्षा और स्वास्थ्य देश की आधारभूत आवश्यकताएं हैं और इन दोनों क्षेत्रों में सुधार किए बिना समग्र विकास संभव नहीं है। शिक्षा हर व्यक्ति का मूल अधिकार हैं।
केंद्र सरकार ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को पहुंचाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत किया है, जिससे गरीब और पिछड़े तबकों को भी शिक्षा के समान अवसर मिल सकें। इसके साथ ही, वे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को भी अपनी प्राथमिकता मानते हैं। उनका कहना है कि स्वास्थ्य का अधिकार हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और इसे सुनिश्चित करने के लिए हमे हर संभव प्रयास करना चाहिए।
आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब देश का हर नागरिक आत्मनिर्भर बने। देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति को स्वावलंबन की भावना से प्रेरित किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा की यह देश की प्रगति के लिए आवश्यक है।
आत्मनिर्भरता केवल आर्थिक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक होना चाहिए। जब तक समाज अपनी सांस्कृतिक धरोहर और मूल्यों के प्रति गर्व महसूस नहीं करेगा, तब तक आत्मनिर्भरता का सही अर्थ नहीं समझा जा सकता।
इन सब के साथ मे उनका यह मानना हैं कि राजनीति केवल सत्ता प्राप्त करने का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज की सेवा करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। राजनीति का वास्तविक उद्देश्य समाज की भलाई के लिए काम करना होना चाहिए। उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि जनता की सेवा ही राजनीति का प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए, न कि केवल सत्ता में बने रहना।
जब राजनीति सेवा का रूप लेती है, तभी वह सच्चे अर्थों में सफल होती है। उनका यह दृष्टिकोण संघ की सेवा भावना से प्रेरित है, जिसे उन्होंने अपने जीवन में अपनाया है। उन्होंने राजनीति में समाज सेवा के कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं, चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य, या रोजगार के क्षेत्र में हो। उनका मानना है कि जनता का विश्वास जीतने के लिए आवश्यक है कि नेता अपने कार्यों से उन्हें यह महसूस कराएं कि वे उनके लिए काम कर रहे हैं, न कि केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए।
उनके विचार और कार्य समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा है कि देश का विकास तभी संभव है, जब समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चला जाए। उनका यह विचार केवल एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि उनके जीवन और कार्यों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
उनका मानना है कि समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने का अर्थ है कि हम केवल आर्थिक विकास पर ही ध्यान न दें, बल्कि समाज के सभी तबकों को समान अवसर और सम्मान प्रदान करें। वे मानते हैं कि एक सशक्त भारत का निर्माण तभी संभव है, जब हर नागरिक को अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग करने का अवसर मिले और वह समाज की मुख्यधारा में शामिल हो।
उनके विचार और नेतृत्व भाजपा और संघ की विचारधारा का संगम प्रस्तुत करते हैं, जहां राष्ट्रवाद, सेवा, और विकास एक साथ मिलकर एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करते हैं।
ये भी पढ़िए……..