पूर्णिया। जिले में इस वर्ष भी आलू किसानों को धोखा दे गया है। इसके उपज में तो कमी आई ही है, साथ ही इसकी कीमत भी गिरने से किसान मुंह के बल गिर पडे हैं।
प्रायः देखा गया है कि उजला आलू 70 दिनों के बाद अच्छी उपज देना शुरू कर देता है। परंतु इस बार पिछले साल की तुलना में काफी कम उपज दे रहा है। किसी भी किसान का दस मन से ज्यादा प्रति कट्ठा नहीं हुआ । जबकि अन्य साल 70 दिनों में इसकी उपज 12 से 15 मन प्रति कट्ठा हो जाया करती थी। अगर 80 से 85 दिनों तक किसान फसल को छोड देते हैं, तब यह उपज 20 मन तक चली जाती है। कीमत में भी काफी कमी आई है।
पिछले साल की तुलना में इस क्विंटल बेचा था, आज उसकी कीमत मात्र 700 रुपये है। यह कीमत लगातार घटती चली जा रही है। मौके पर आलू उपजाने वाले किसान अखिलेश सिंह, सुबोध सिंह, छेदी जायसवाल, ब्रहमदेव महतो, सुरेश जायसवाल आदि कहते हैं कि समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर क्या करें। आलू फसल उपजाने के लिए कम-से-कम चालीस हजार रुपये बीघा के हिसाब से खर्च होते हैं। परंतु इस बार यह खर्च ऊपर नही हो रहा है। जबकि उजला आलू में यह माना जाता है कि यह महज साठ दिनों में किसानों की पूंजी दोगुनी से ज्यादा कर जाता है।
वर्ष 2013, 2014, 2015, 2019, 2021 आदि वर्षो में तो किसान महज दो माह में अपनी पूंजी के चार-चार गुणा मुनाफा कमाया था। कुल मिलाकर इस बार आलू की फसल किसानों को मुंह के बल गिराने पर तुला है। कुल मिलाकर किसानों ने जो सपने देखे थे कि घर के या बच्चों के शिक्षा दीक्षा के लिए कई कामों को अंजाम देंगे उसे पर अब उन्हें कटौती करनी होगी।
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