धनबाद। जिले के केंदुआडीह थाना क्षेत्र में जहरीली गैस का संकट लगातार गहराता जा रहा है। बीते दो दिनों में गैस के प्रभाव से दो महिलाओं की मौत हो चुकी है। बुधवार को प्रियंका देवी और गुरुवार को ललिता देवी ने दम तोड़ दिया। वहीं 30 से 35 लोग अभी भी गैस की चपेट में हैं, जिन्हें विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इलाके में बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर आ गया है।
शुक्रवार को उपायुक्त आदित्य रंजन, एसएसपी प्रभात कुमार, बीसीसीएल के सीएमडी मनोज अग्रवाल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी केंदुआडीह पहुंचे और प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने मजदूर संघ नेता, स्थानीय प्रतिनिधि और प्रभावित परिवारों के साथ बैठक कर स्थिति का आकलन किया। स्वास्थ्य विभाग की टीम इलाके में लगातार तैनात है। चार से पांच एंबुलेंस हाई-अलर्ट पर रखी गई हैं और डॉक्टर घर-घर जाकर स्वास्थ्य जांच कर रहे हैं। राजपूत बस्ती, मस्जिद मोहल्ला, ऑफिसर कॉलोनी सहित लगभग 10 हजार की आबादी गैस के दुष्प्रभाव से परेशान है। लोगों का कहना है कि तेज दुर्गंध और जहरीली गैस से घरों में रहना मुश्किल हो गया है।
बीसीसीएल सीएमडी मनोज अग्रवाल ने बताया कि खदानों में बचा कोयला रासायनिक प्रक्रिया से गुजरता है, जिससे बैक्टीरिया के कारण गैस बनती है। इस समस्या की तकनीकी जांच आईआईटी आइएसएम), सिंफर और डीजीएमएस की विशेषज्ञ टीम कर रही है। गैस रिसाव के सोर्स की तलाश तेज़ी से की जा रही है और जहां खतरा दिख रहा है, वहां तुरंत सीलिंग और बैैरिकेटिंग की कार्रवाई की जा रही है।
स्थानीय लोग प्रशासनिक कार्रवाई पर नाराज़गी भी जता रहे हैं। लोगो की माने तो चार दिनों से सिर्फ बैठकर मीटिंग हो रही है, कोई समाधान नहीं निकाला जा रहा है। लोगों का कहना है कि उनके घर के पीछे से ही गैस निकल रही है, बच्चे घर में रह नहीं पा रहे हैं। वहीं एक अन्य महिला ने कहा कि प्रशासन सिर्फ शिफ्ट होने की बात कर रहा है, लेकिन रोजी-रोटी का क्या होगा।
वहीं मौके पर उपायुक्त आदित्य रंजन ने बताया कि जांच में कई घरों में गैस का स्तर 2.5 मेज़र आया है, जो सामान्य से काफी अधिक है और खतरनाक श्रेणी में आता है। प्रभावित घर पहले से डेंजर ज़ोन में चिन्हित थे, जिनका विस्थापन एक साल पहले होना था। अब प्रशासन ने तय समय सीमा में शिफ्टिंग प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। फिलहाल प्रभावित परिवारों के लिए टेंट, भोजन और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है।
प्रशासन ने दो अस्पतालों में आपात विस्तार, अतिरिक्त ऑक्सीजन-युक्त बेड और सातों दिन 24 घंटे मेडिकल व्यवस्था सुनिश्चित की है। सिंफर से जांच करने पहुंचे वैज्ञानिक डॉ संतोष कुमार राय ने कहा कि कार्बन मोनोऑक्साइड की उच्च मात्रा समस्या की मुख्य वजह लग रही है। उन्होंने कहा कि स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।

