बरकट्ठा : एशिया के सबसे गर्म जलकुंड वाला बरकट्ठा सूर्यकुंड धाम में शनिवार से 15 दिवसीय ऐतिहासिक मकर संक्रांति मेला शुरू हो गया. मेले का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री और कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि बरकट्ठा सूर्यकुंड धाम पर्यटन स्थल के रूप में तेजी विकसित हो रहा है. सभी लोगों का दायित्व है कि यहां स्वच्छता बनाए रखते हुए इस ऐतिहासिक धार्मिक पर्यटन स्थल की सुंदरता को बनाए रखें. साथ ही इसके विकास में सहयोग करें. यह ऐतिहासिक मेला है, जहां परंपरागत घरेलू उपयोग के सामान उपलब्ध रहते हैं. यहां दूर-दूर से लोग आते हैं. मनोरंजन के कई साधन मौजूद हैं. सैलानियों की सुविधाओं और सुरक्षा का ख्याल रखना हम सब की जिम्मेवारी और दायित्व है. उन्होंने इस मेले के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने की वकालत की.
वहीं बरकट्ठा के विधायक अमित कुमार यादव ने कहा कि सावन में देवघर के मेले के बाद झारखंड में मकर संक्रांति का सबसे बड़ा मेला लगता है. इसका इतिहास अपने आप में अनूठा है और यहां की परंपरा व संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने की जरूरत है. पहले वर्ष भर के लिए ग्रामीण घरेलू उपयोग के सामान की खरीदारी इसी मेले से कर लेते थे. आज भी हर जरूरत की घरेलू सामग्रियों की यहां भरमार है, जो इसकी परंपरा को दर्शाते हुए बरकरार रखा है.
इससे पहले अहले सुबह से ही इस पवित्र धार्मिक पर्यटन स्थल और एशिया के सर्वाधिक गर्म जलकुंड में पुण्य व मकर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही. स्थानीय लोगों समेत अन्य राज्यों महाराष्ट्र, एमपी, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, बंगाल आदि के श्रद्धालु भी अहले सुबह पांच बजे से ही गर्मजल कुंड में स्नान कर पूजा-अर्चना करते हुए सुख-समृद्धि की कामना की.
जानिए सूर्यकुंड के प्रति लोगों में आस्था और विशेषता
लोगों में ऐसी आस्था है कि मकर संक्रांति में गंगासागर स्नान की तरह सूर्यकुंड के गर्मजल से स्नान का पुण्य प्राप्त होता है. श्रद्धालु मकर स्नान के बाद भगवान सूर्यदेव समेत आदि देवी देवताओं की आराधना के बाद तिल, चूड़ा आदि दान करने के बाद ग्रहण करते हैं.
प्रकृति की मनोरम छटा के बीच स्थापित है सूर्यकुंड धाम
सूर्यकुंड हजारीबाग से 72 किलोमीटर और बरकट्ठा से पांच किलोमीटर दूर एनएच दो रोड के दक्षिण एक किलोमीटर दूरी पर अवस्थित प्रकृति की अद्भुत मनोरम स्थल सैलानियों के लिए आकर्षक का केंद्र है. पहाड़ियों की तलहटी में बसा सूर्यकुंड धाम किसी परिचय के मोहताज नहीं है. पर्यटन क्षेत्र में सूर्य कुंडधाम की अपनी पहचान है.
88.5 डिग्री सेल्सियस रहता है सूर्यकुंड का पानी
ऐतिहासिक स्थल सूर्यकुंड का पानी का तापमान लगभग 88.5 डिग्री सेल्सियस है. सूर्यकुंड परिसर में ही भगवान के नाम पर चार अन्य जलकुंड हैं. लक्ष्मण कुंड, ब्रह्मा कुंड, सीता कुंड एवं रामकुंड के नाम से प्रसिद्ध कुंडों में जल का तापमान भिन्न-भिन्न है. हैरत की बात यह है कि यहां चार जलकुंडों में पानी ठंडा रहता है. सिर्फ एक सूर्यकुंड का पानी गर्म रहता है. यहां जलकुंड की चर्चा सिर्फ राज्य में ही नहीं, बल्कि एशिया में प्रसिद्ध है. उच्च सल्फर सामग्री के कारण सूर्यकुंड का निर्मल गर्म पानी का शरीर की त्वचा पर चिकित्सीय प्रभाव होता है. लोगों को पूरी आस्था व विश्वास है कि इस गरम पानी में स्नानादि से उपचारात्मक प्रभाव होता है.
आंवला डालकर संतान की कामना करती हैं महिलाएं
सूर्यकुंड के जल में आंवला डालकर श्रद्धालु मनोकामना करते हैं. आंवला डालने की कथा बहुत ही रोचक व प्राचीन है. लोगों की ऐसी आस्था है कि कोख सूनी महिलाएं सूर्यकुंड के उष्णतम जल में आंवला डालकर कामना करती हैं. अगर आंवला पानी के नीचे जाने के बाद पुन: पानी की ऊपरी सतह पर लौट जाता है, तो ऐसा समझा जाता है कि उसकी मन्नत सुन ली गई. वहीं परिसर में सप्त अश्व सवार भगवान सूर्य मंदिर, प्राचीन विष्णु मंदिर, शिव मंदिर, प्राचीन काली मंदिर आदि मंदिरों की कतार है. कुंडों में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु स्नानादि के लिए आते हैं.
उद्घाटन समारोह में मुख्य रूप से जिला परिषद उपाध्यक्ष किशुन यादव, सदस्य प्रेरणा प्रिया, कुमकुम देवी, गोरहर थाना प्रभारी कृष्ण कुमार साहा, बरकट्ठा थाना प्रभारी विक्रम कुमार, प्रमुख रेणु देवी, उपप्रमुख सुरजी देवी, सांसद प्रतिनिधि रघुवीर प्रसाद, बीस सूत्री अध्यक्ष प्रदीप प्रसाद, मुखिया ललिता देवी, मुखिया निजामो अंसारी, पंचायत समिति सदस्य विकास कुमार पांडेय, मेला ठेकेदार श्याम पांडेय एवं पांच पांडव मेला कमिटी के सदस्य समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे.
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