हजारीबाग : गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी पर सम्मेद शिखर जैन धर्म के पवित्र तीर्थ स्थल स्थल है. इसे सरकार की ओर से पर्यटन क्षेत्र घोषित किया गया है, जिसे लेकर पूरे जैन समुदाय में आक्रोश व्याप्त है. इस संबंध में गुरुवार को श्री दिगंबर जैन सम्मेदायल विकास कमिटी मधुबन के कार्यकारिणी सदस्य व समाजसेवी हर्ष अजमेरा व नगर निगम महापौर रौशनी तिर्की सहित कई लोगों ने उपायुक्त के माध्यम से झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ज्ञापन प्रेषित किया. इसमें हर्ष अजमेरा ने कहा कि पारसनाथ सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल से पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर राज्य सरकार को एक बार फिर से पुनर्विचार करना चाहिए. सरकार के इस फैसले से दुनिया भर का जैन समाज आहत है. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध सम्मेद शिखर जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा और पवित्र तीर्थस्थल है. इस पारसनाथ पहाड़ पर जैन समाज के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने तपस्या करते हुए मोक्ष की प्राप्ति की. उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से अहिंसक जैन समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा है और जैन समाज काफी निराश है. उन्होंने राज्यपाल से जैन धर्मावलंबियों की भावनाओं से सहानुभूति रखते हुए सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने पर रोक लगाने की मांग की. साथ ही कहा कि इस निर्णय से दुनियाभर के जैन समुदाय में एक सकारात्मक संदेश जाएगा.
वहीं महापौर रौशनी तिर्की ने कहा कि सरकार की ओर से पारसनाथ को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के बाद इस क्षेत्र की पवित्रता को बरकरार रख पाना असंभव है. साथ ही इससे क्षेत्र में मांसाहार और शराब सेवन सहित कई प्रकार की गतिविधियां प्रारंभ हो जाएंगी और इसपर लगाम लगाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा. इसे देखते हुए सरकार अपना निर्णय वापस ले, ताकि जैन समाज के पवित्र स्थल की पवित्रता बरकरार रह सके. मौके पर चतरा के सांसद प्रतिनिधि टोनी जैन, दिगंबर जैन पंचायत कार्यकारिणी सदस्य विनीत जैन छावड़ा, सत्यभामा भाजपा जिला महामंत्री महिला मोर्चा, तनवीर अहमद, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा जिला अध्यक्ष आदि शामिल थे.
जैन समाज की प्रमुख मांगें
ज्ञापन में राज्यपाल और मुख्यमंत्री से पारसनाथ पर्वत व मधुवन क्षेत्र को अन्य धार्मिक नगरी जैसे काशी विश्वनाथ, मथुरा, वैष्णोदेवी की तरह पांच किमी के क्षेत्र में मांस और नशा मुक्त घोषित करने, जैन धर्म की परंपरा और रीति रिवाज के अनुसार ही पर्वत पर भ्रमण की व्यवस्था करने, सभी तरह के प्रबंधन समितियों में जैन समाज का प्रतिनिधित्व करने की मांग की गई. साथ ही प्रवेश मार्ग पर किसी यात्रियों से किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिए जाने, पर्वत में परिक्रमा के अनुसार पथ निर्मित किए जाने, यात्रियों को केवल दिन में ही भ्रमण के निर्देशों से मुक्त किए जाने सहित कई मांगें शामिल हैं.
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