हजारीबाग : गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय मुकुंदगंज, हजारीबाग के विवेकानंद हॉल में 16 दिसंबर को दो दिवसीय नेशनल सेमिनार शुरू हो गया. ‘भारत के नवनिर्माण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भूमिका’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि विनोबा भावे विश्वविद्यालय (विभावि) हजारीबाग के कुलपति प्रोफेसर डॉ मुकुल नारायण देव ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. सेमिनार के पहले सत्र उद्घाटन समारोह के बाद कुलपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से विद्यार्थियों का बहुमुखी विकास होगा. अपने देश में यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा नीति है. ऐसी शिक्षा नीति विदेशों में देखने को मिलती है. इसमें विद्यार्थी मनचाहा विषय रख सकते हैं. जबरन विषय थोपने जैसी कोई बाध्यता नहीं है. साइंस, आर्ट्स, कॉमर्स का नामकरण खत्म कर सीधा स्नातक कर दिया गया है. इसमें रोजगारपरक शिक्षा का समावेश है. विनोबाभावे विश्वविद्यालय हजारीबाग में एनईपी 2020 लागू कर दिया गया है. शिक्षकों और संसाधनों की कमी पूरी करनी होगा. अगले पांच-10 वर्षों में यह शिक्षा नीति पूरी तरह कामयाब हो जाएगी. सेमिनार के दूसरे सत्र में बतौर मुख्य वक्ता विनोबाभावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव डॉ बंशीधर प्रसाद रूखैयार ने कहा कि यह भारत की पहली शिक्षा नीति जिसमें मौलिकता का पूरी तरह समावेश है. शिक्षा पद्धति में क्षेत्रीय भाषा को विशेष महत्व दिया गया है. इसमें जॉन मैकाले की शिक्षा नीति से बाहर निकालने का प्रयास है. सभी को समान शिक्षा मिलेगी. इसमें भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को पिरोया गया है. वैसे भी भारत आदिकाल से अपनी अलग शिक्षा नीति के लिए विश्वविख्यात रहा है. यहां की विद्या को अपनाकर पश्चिमी राष्ट्र विकसित हुए हैं. यहां के नालंदा समेत कई विश्वविद्यालयों में विदेश से लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे. यहां के ऋग्वेद में आयुर्वेद, अध्यात्म, खगोल, विज्ञान, गणित समेत कई शिक्षा का समावेश है. दुनिया की शिक्षा के विकास में भारत का अहम योगदान रहा है. उद्घाटन समारोह में विभावि के कुलसचिव डॉ बीरेंद्र कुमार गुप्ता और एनईपी के को-ऑर्डिनेटर सह पीजी रसायन विभाग के प्राध्यापक डॉ इंद्रजीत कुमार भी मौजूद थे. सभी अतिथियों ने नेशनल सेमिनार पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया. इससे पहले गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष मनोज कुमार और सचिव मिथिलेश मिश्र ने अतिथियों को शॉल और स्मृति चिह्न भेंटकर स्वागत किया. सचिव ने अतिथियों के सम्मान में स्वागत भाषण दिया. मौके पर प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार समेत सभी व्याख्याता, प्रशिक्षु और शिक्षकेत्तरकर्मी मौजूद थे.
तकनीकी सत्र में कई विद्वानों ने रखे अपने-अपने विचार
राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे व तकनीकी सत्र में कई विद्वानों ने अपने-अपने विचार रखे. गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अच्छी शिक्षा नीति है, चुनौती है इसे धरातल पर उतारने की. फैकल्टी और संसाधन का घोर अभाव है. न समान शिक्षक नियुक्ति की गई है और न वेतन प्रक्रिया पर कोई चर्चा है. यह शिक्षा नीति विद्यार्थियों को विभिन्न हुनर में पारंगत बनाकर अपने देश में ही रोजगार देने के उद्देश्य से बनाई गई है. यह नीति है, कोई कानून नहीं कि क्रियान्वयन करने की बाध्यता है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को कानून बनाया जाता, तो ज्यादा फलीभूत होता. पत्रकार मुरारी सिंह ने कहा कि संसाधन और शिक्षकों के बिना एनईपी को लागू करना आसान नहीं होगा. इसके लिए इच्छाशक्ति को मजबूत करना होगा. पिछली कई नीतियों में बदलाव हुए, पर धरातल पर लागू नहीं किए गए. राधाकृष्ण शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ सुनीता गुप्ता ने कहा कि एनईपी विद्यार्थियों के चहुंमुखी विकास में मील का पत्थर साबित होगा. इसके लिए सबको सामूहिक प्रयास करना होगा. केंद्र सरकार की इस नीति को राज्य सरकारों की ओर से सहयोग की जरूरत है. महर्ष परमहंस कॉलेज ऑफ एजुकेशन के प्राचार्य डॉ घनश्याम चौरिया ने कहा कि एनईपी का असर वर्तमान शिक्षा पर दिखने लगा है. इसमें शिक्षकों की बहाली होनी चाहिए. चुनौतियों को पार करना होगा. सेमिनार को संत कोलंबा कॉलेज के प्राध्यापक राजकुमार चौबे, विभिन्न कॉलेजों के रिसर्च स्कॉलर मीरा कुमारी, मिथिलेश, अमित सिंह आदि ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम में मंच संचालन गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डॉ बसुंधरा कुमारी और कुमारी अंजलि ने किया.
राष्ट्रीय सेमिनार का समापन आज
गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन 17 दिसंबर को होगा. सत्र का उद्घाटन सुबह नौ बजे सेंट्रल यूनिवर्सिटी वर्धा, महाराष्ट्र के डीन प्रोफेसर गोपाल कृष्ण ठाकुर करेंगे. उनके अलावा बतौर मुख्य वक्ता चौहान कॉलेज ऑफ एजुकेशन बरकातुल्लाह यूनिवर्सिटी, भोपाल की प्रिंसिपल डॉ वीणा झा, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू), उत्तर प्रदेश की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नीति सिंह और धर्म समाज कॉलेज राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ उमेंद्र सिंह होंगे. सभी विद्वान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आयोजित शैक्षिक सेमिनार में विचार मंथन करेंगे.