हजारीबाग : चौपारण के समीर ने क्यूब सेटेलाइट बनाया है, जिसे नासा ने शॉर्ट लिस्ट किया है. समीर की इस कामयाबी ने यह साबित कर दिया है कि मन में संकल्प हो, तो कुछ भी असंभव नहीं. प्रतिभा से अपने हौसलों को उड़ान दिया जा सकता है. ग्रामीण इलाकों में संसाधनों की कमी का बहाना बनाने वालों के लिए चौपारण के महाराजगंज का समीर प्रेरणा का बडा स्रोत है.
बैंगलोर के दयानंद सागर कॉलेज में इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष के इस छात्र ने कई मेगा प्रोजेक्ट पर काम किया है. उसने बिना रिमोट के चलने वाला ड्रोन बनाया, तो सैम एंटेना का नेट स्पीड बढ़ाने की विधि का भी इजाद किया.
इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष का यह छात्र बचपन से ही काफी मेधावी रहा. गरीब पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले समीर के पिता मो शमसेर की सीट कवर बनाने की दुकान है. परंतु गरीबी के बावजूद तमाम कठिनाइयों से जुझते हुए बेटे को इंजीनियरिंग और एक बेटी को मेडिकल में दाखिला दिलवाया.
समीर ने अपनी आरंभिक शिक्षा दादपुर के कस्तूरबा गांधी विद्यालय से आरंभ की. दसवीं के बाद पिता ने किसी तरह कोटा राजस्थान से 12वीं करवाया. वर्तमान में वह बैंगलोर के दयानंद सागर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक एवं टेलीकम्युनिकेशन के प्रथम वर्ष का छात्र है. अपने आधुनिक आविष्कारों को भेजकर उसने अपनी प्रतिभा का डंका नासा और इसरो जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों तक बजा चुका है. नासा ने उसके जिस प्रोजेक्ट को शॉर्ट लिस्ट किया है, उसे उस प्रोजेक्ट के साथ जल्द ही वहां से बुलावा आने वाला है.
हमेशा सीखने की चाहत ने दिलाई कामयाबी
समीर कहता है कि हमेशा सीखने की चाहत ने उसे कामयाबी दिलाई. उसने 10 सप्ताह यूएस के विश्व के सबसे बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज मैसाचुसेट्स इंजीनियरिंग कॉलेज से ऑनलाइन साफ्टवेयर टेक्नोलॉजी की क्लासेज की. फिर ऑनलाइन ही यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया से नि:शुल्क रोबोटिक्स की पढ़ाई की. इसरो से ऑनलाइन रिमोट सेंसिंग का कोर्स किया.