हजारीबाग : विनोबाभावे विश्वविद्यालय में विविध कला-संस्कृति का रसपान कराते शुक्रवार को झूमर 2022 : युवा महोत्सव का भव्य आगाज हुआ. स्नातकोत्तर कला एवं संस्कृति परिषद की ओर से आयोजित तीन दिवसीय झूमर महोत्सव का उद्घाटन दीप जलाकर सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद्, पुरातत्ववेत्ता और पद्मश्री से सम्मानित बुलू इमाम ने किया. मौके पर उन्होंने कहा कि कला-संस्कृति से विभावि का गहरा लगाव रहा है. यह युवा महोत्सव सीखने और सिखाने का बड़ा मंच है. इस कला-संस्कृति में पुरातत्व का भी समावेश है. उनका इन सब चीजों से पुराना संबंध रहा है.
मौके पर कुलपति प्रो. डॉ मुकुल नारायण देव ने कहा कि झारखंड में बोलना ही गीत, चलना ही नृत्य है. यह महोत्सव विभावि के लिए मील का पत्थर साबित होगा. किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों का विशेष महत्व होता है. इस इंटर कॉलेज प्रतियोगिता में न सिर्फ विद्यार्थी अपनी प्रतिभा का खुलकर प्रदर्शन कर सकते हैं, बल्कि एक-दूसरे कॉलेजों से ज्ञान, आचार-विचार और व्यवहार का आदान प्रदान कर काफी अनुभूति प्राप्त कर सकते हैं. इस पूरे कार्यक्रम में सामूहिकता का समावेश और सतरंगी इंद्रधनुषी छटा का प्रवाह है. सामंजस्य की भावना की सीख भी मिलती है. आयोजन सचिव डॉ सरिता सिंह ने कहा कि झूमर आनंद, उत्साह और उमंक का द्योतक है. इस महोत्सव में प्रतिभागियों को बांटने, सीखने और रंगों में रंग मिलाकर सराबोर होने का मौका है.
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ विभावि के कुलगीत से हुआ. फिर छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया. पीजी विभाग के विद्यार्थियों ने गणेश वंदना, फॉक डांस और देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया. राष्ट्रीय गान से उद्घाटन सत्र का समापन हुआ. मंच संचालन पीजी हिन्दी विभाग के डॉ केदार सिंह और सुनील दूबे ने किया. मंच पर विभावि की प्रथम महिला सह कुलपति की पत्नी प्रभा देवी, रजिस्ट्रार डॉ बीके गुप्ता, दात्र कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ अंबर खातून, वित्त पदाधिकारी डॉ सुरेंद्र, वित्तीय सलाहकार डॉ सुनील सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ गौरीशंकर तिवारी, रूसा के निदेशक डॉ चंद्रशेखर सिंह, पीआरओ डॉ प्रमोद कुमार, विभिन्न संकायाध्यक्ष, पदाधिकारी और शिक्षक, शिक्षकेत्तरकर्मी और विद्यार्थी मौजूद थे.
सांस्कृतिक यात्रा में प्रतिभागियों ने बांधा समां
किसी ने कोविड काल के भयावह दृश्य को प्रदर्शित किया, तो किसी ने झारखंडी नृत्य प्रस्तुत किया. कोई झूमर, तो कोई वैवाहिक परंपरा का रसपान कराया. इस तरह विभावि के अधीन करीब 22 कॉलेजों की टीम ने सांस्कृतिक यात्रा में सतरंगी इंद्रधनुषी छटा बिखरते हुए समां बांध दिया. इनमें विभावि पीजी, आरके महिला कॉलेज गिरिडीह, संत कोलंबा कॉलेज हजारीबाग, सरिया कॉलेज, जीएम इवनिंग कॉलेज, विभावि इंजीनियरिंग कॉलेज, रामगढ़ कॉलेज, गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, मुकुंदगंज हजारीबाग, अन्नदा कॉलेज हजारीबाग, ग्रिजली कॉलेज ऑफ एजुकेशन झुमरीतिलैया कोडरमा, स्वामी धर्मबंधु बीएड कॉलेज, कर्णपुरा कॉलेज बड़कागांव, जेजे कॉलेज झुमरीतिलैया, चतरा कॉलेज, मार्खम कॉलेज ऑफ कॉमर्स हजारीबाग, आदर्श कॉलेज राजधनवार आदि के प्रतिभागियों ने रंगारंग और संदेशपरक झांकियां निकालीं.
रंग-बिरंगे परिधान और कार्यक्रमों से गुलजार हुआ विभावि का विनोदिनी तरवे पार्क
विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में शुक्रवार को सतरंगी छटा देखने को मिली. कोई संथाली परिधान में तो कोई राजस्थानी परिधान में छात्राएं दिखी. वहीं कुछ छात्र तो झारखंड के विशेष परिधान पहने हुए थे. पूरा परिसर आज छात्रों से गुलजार रहा. विभिन्न तरह के कार्यक्रम के जरिए छात्र अपनी प्रस्तुति करते नजर आए. हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर के तीन अलग-अलग जगह पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है .मुख्य पंडाल के अलावा विवेकानंद सभागार एवं मल्टीपरज हॉल में भी आयोजन किया जा रहा है.
छात्रा शालिनी सिंह कहती हैं कि वह पहली बार यूथ फेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए पहुंची हैं. यूथ फेस्टिवल झूमर के जरिए अपनी कला संस्कृति के बारे में जान रही हैं. शालिनी बताती हैं कि वह आज संथाली परिधान पंछी पहनी हैं, जो हमारी संस्कृति का परिचायक है. तो दूसरी ओर दीपिका सोरेन का कहना है कि यूथ फेस्टिवल आज के समय में छात्रों को रिलैक्स प्रदान करता है. हम पढ़ाई लिखाई के दौरान काफी तनाव में रहते हैं. लेकिन तीन दिनों तनाव को भूल कर हम मस्ती करते हैं. यह हमारे सर्वांगीण विकास के लिए बेहद जरूरी है. इस तरह का कार्यक्रम हमेशा होना चाहिए.
एनएसएस को-ऑर्डिनेटर डॉ जॉनी रूफिना तिर्की ने कार्यक्रम के दौरान मंच संभाला और जमकर छात्रों को उत्साहित भी किया. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मौका है, जहां छात्र-छात्राएं अपनी प्रतिभा दर्शाती हैं. आप सभी कार्यक्रम में हिस्सा लें और इसे सफल बनाएं. उनका कहना है कि इस कार्यक्रम के जरिए हम अपने संस्कृति के बारे में भी एक दूसरे को बताते हैं. आज के समय में पाश्चात्य सभ्यता हमारे ऊपर हावी होती जा रही है. वैसे समय में यह झूमर मील का पत्थर साबित होगा. यहां हम अपने देश की सभ्यता संस्कृति के बारे में जान पाएंगे.
विभिन्न गतिविधियों में प्रतिभागियों ने दिखाया अपना हुनर
कार्टूनिंग, पोस्टर मेकिंग, फोटोग्राफी, क्विज, वन एक्ट प्ले, क्लासिकल वोकल सोलो, क्लासिकल इंस्ट्रूमेंटल सोलो, लाइट वोकल सोलो आदि में प्रतिभागियों ने अपना हुनर दिखाया.