इटखोरी : इटखोरी में शुक्रवार को 2 दिसंबर से 7 दिसंबर तक पंचकल्याणक महोत्सव शुरू हो गया। परम पूज्य सर्वोदयी महाश्रमण सातिशय महायोगी राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामुनिराज के मंगल आशीर्वाद से एवं उनके शिष्य झारखंड राजकीय अतिथि सराक केशरी श्रमण 108 मुनि श्री विशल्य सागर जी महाराज ससंघ मंगल सानिध्य में श्री 1008 पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का भव्य शुभारंभ घट यात्रा एवं ध्वजारोहण के साथ किया गया।
शुक्रवार को पंचकल्याणक के प्रथम दिन गर्भ कल्याणक के अवसर पर मुनि श्री ने अपने मंगल उद्बोधन प्रवचन में कहा कि यह प्रतिष्ठा तो पाँच दिनों में पूर्ण हो जाएगी और मंत्रों के माध्यम से परमात्मा भी बन जाएंगे, लेकिन हमारे अंदर जो परमात्मा विराजमान है उसको बाहर प्रकट करने के लिए मंत्रों की संस्कारों की और ये प्रतिष्ठाओं की आवश्यकता होती है।
मुनिश्री ने कहा कि जब तक एक पुदगल मंत्रों से संस्कारों से पूज्य बन जाता है तो हम तो जीव तत्व हैं हम क्यों नहीं पूज्य बन सकते है। जब संस्कार गर्भ रूप से पलते हैं तो हमारी आत्मा भी परमात्मा के रूप में जन्म लेती है। एक भव के संस्कार से नहीं भव भव के संस्कार से आत्मा परमात्मा बनती है ।हमेशा गर्भ कल्याणक मनाओ लेकिन गर्भपात एवं गर्भघात कभी नहीं करना। क्या पता कौन सी आत्मा गर्भ में परमात्मा के रूप में पल रही है।
संध्या में महा आरती का कार्यक्रम हुआ। झारखंड प्रदेश मीडिया प्रभारी विजय विजय लुहाड़ीया ने बताया कि कल पंचकल्याणक के दूसरे दिन जन्म कल्याणक के रूप में मनाया जाएगा। जिसे देखने के लिए पूरे झारखंड व अन्य राज्यों से भी लोग पधारेंगे।